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80 फीसद शरीर को लकवा मारने के बाद भी किया मुकाम हासिल, देश के सबसे कम उम्र के पेटेंट धारक हैं हृदयेश्वर

80 फीसद शरीर को लकवा मार देने के बावजूद हृदयेश्वर ने हार नहीं मानी। वह आज भारत के सबसे कम उम्र के पेटेंट धारक हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 01:11 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 01:11 PM (IST)
80 फीसद शरीर को लकवा मारने के बाद भी किया मुकाम हासिल, देश के सबसे कम उम्र के पेटेंट धारक हैं हृदयेश्वर
80 फीसद शरीर को लकवा मारने के बाद भी किया मुकाम हासिल, देश के सबसे कम उम्र के पेटेंट धारक हैं हृदयेश्वर

मनीष गोधा, जयपुर। कहते हैं कि हौसला हो तो हर काम आसान हो जाता है, ये कर दिखाया है 17 साल के हृदयेश्वर सिंह भाटी ने। ह्रदयेश्वर जब सिर्फ चार साल के थे तो चलते-चलते अचानक गिर पड़े और मांसपेशियों की लाइलाज बीमारी ड्यूशिन मस्कुलर डिस्ट्रोफी के शिकार हो गए। इस बीमारी ने उनके 80 फीसद शरीर को लकवाग्रस्त कर दिया। हृदयेश्वर आज उपलब्धियों का आसमान नाप रहे है।

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इस गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति भवन में उन्हें राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार से सम्मानित करेंगे और वो दिल्ली में जनपथ में निकलने वाली राष्ट्रीय परेड का हिस्सा भी बनेंगे।अपनी पावर व्हीलचेयर पर बैठे हृदयेश्वर प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग की याद दिलाते हैं। हृदयेश्वर उन्हें प्रेरणास्नोत मानते हैं। बैठे-बैठे कुछ सोचना और फिर उस पर काम शुरू कर देना, यह हृदयेश्वर की आदत में शामिल है।

इसी के चलते वे तीन गोलाकार शतरंज बना चुके हैं और इनके पेटेंट भी उनके पास है। इसी आविष्कार ने उन्हें देश का सबसे छोटा पेटेंट धारक बना दिया है। क्योंकि सिर्फ नौ साल की उम्र में उन्होंने छह खिलाड़ियों के खेलने वाला गोलाकार शतरंज बना लिया था। इसके बाद उन्होंने 12 और 60 खिलाड़ियों के साथ खेलने वाला गोलाकार शतरंज भी बना डाला।

ऐसे मिली प्रेरणा: हृदयेश्वर बताते हैं कि वे अपने पिता के साथ शतरंज खेल रहे थे। कुछ दोस्त आए और वो भी खेलना चाहते थे। बस यहीं से ज्यादा लोगों के खेल सकने वाला शतरंज बनाने का आइडिया दिमाग में आया। इन आविष्कारों के कारण दुनिया भर में 100 अलग-अलग तरह के शतरंज बनने लगे। नतीजतन भारत अलग-अलग शतरंज वेरिएंट के आविष्कारों की संख्या में विश्व में शीर्ष पर पहुंच गया।


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