HRD ने तैयार किया 100 दिनों का प्लान, उच्च शिक्षण संस्थानों के खाली पड़े पदों को भरने की कवायद तेज
एचआरडी ने सौ दिनों के काम का खाका तैयार कर लिया है। खाली पदों को भरने के साथ ही डिजिटल बोर्ड नई शिक्षा नीति और विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थान भी एजेंडे में शामिल किए गए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। नई सरकार के गठन की तैयारियों के जोर पकड़ते ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी अपने सौ दिन के एजेंडे को भी अंतिम रूप दे दिया है। फिलहाल मंत्रालय ने जिन कामों को प्राथमिकता में रखा है, उनमें उच्च शिक्षण संस्थानों के खाली पड़े पदों को भरना, मिशन डिजिटल बोर्ड और उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने जैसे अहम विषयों को भी शामिल किया है। हालांकि अभी इसे पीएमओ की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद ही इस पर काम शुरू होगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों ने पिछले दो दिनों में लंबी मैराथन बैठक करके इस पूरे एजेंडे को अंतिम रूप दिया है। सूत्रों के मुताबिक बैठक में जिन विषयों को प्रमुखता से चर्चा हुई और उन्हें शामिल किया गया है, उनमें उच्च शिक्षण संस्थानों में खाली पड़े पदों को तेजी से भरना सबसे अहम है। इसके लिए एक मुहिम भी चलाने के संकेत दिए गए है।
खाली पदों को भरेगी सरकार
मौजूदा समय में देश के भर उच्च शिक्षण संस्थानों में करीब पांच लाख पद खाली पड़े हुए है। इनमें अकेले करीब छह हजार पद केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली है। ऐसे में मंत्रालय की योजना इन खाली पदों को एक तय समय के भीतर भरने की है। इससे एक साथ कई लक्ष्यों को हासिल किया जा सकेगा। पहला सरकार पर नौकरियां न देने जैसे विरोधी स्वर को दबाया जा सकेगा, दूसरा उच्च शिक्षण संस्थानों की शैक्षणिक गुणवत्ता में भी सुधार दिखेगा। मौजूदा समय में देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी होने से वहां की पढाई-लिखाई की व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है।
सरकारी स्कूल होंगे डिजिटल बोर्ड से लैस
इसके अलावा मंत्रालय ने स्कूलों को डिजिटल बोर्ड से लैस करने की योजना को भी गति देना चाहती है। फिलहाल यह मुहिम अभी तक सिर्फ केंद्रीय और नवोदय विद्यालयों तक ही सीमित है। मंत्रालय की योजना अब इसे सभी सरकारी स्कूलों तक पहुंचाने की है। इसके साथ ही मंत्रालय ने अपने एजेंडे में एक और विषय शामिल किया है, वह नई शिक्षा नीति को अंतिम रूप देना है। फिलहाल यह नीति पिछली सरकार के समय में ही बनकर तैयार हो चुकी थी। जिसे अब सिर्फ लागू करना रहेगा।
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