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'सहायकों' को मिलेगा रेल यात्रियों से व्यवहार का प्रशिक्षण

रेलवे बोर्ड की ओर से जारी सर्कुलर में महाप्रबंधकों को रेलमंत्री सुरेश प्रभु की ओर से 2016-17 के रेल बजट में किए गए वादे की याद दिलाई गई है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Sun, 15 May 2016 06:31 PM (IST)Updated: Sun, 15 May 2016 09:46 PM (IST)
'सहायकों' को मिलेगा रेल यात्रियों से व्यवहार का प्रशिक्षण

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेलवे की बेहतर ब्रांडिंग के लिए रेल मंत्रालय ने सभी लाइसेंसी पोर्टरों (सहायक या कुली) को यात्रियों के साथ शिष्ट व्यवहार का प्रशिक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सभी जोनों में सितंबर तक पोर्टर प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।

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रेलवे बोर्ड की ओर से जारी सर्कुलर में महाप्रबंधकों को रेलमंत्री सुरेश प्रभु की ओर से 2016-17 के रेल बजट में किए गए वादे की याद दिलाई गई है। इसमें प्रभु ने सभी लाइसेंसी पोर्टरों को 'सहायक' के रूप में नया नाम देने तथा प्रशिक्षित किए जाने का वादा किया था। तदनुसार सभी जीएम से कहा गया है कि वे अपने-अपने जोन में कामर्शियल अधिकारियों को कुलियों के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन करने के कहें। इन कार्यशालाओं में कुलियों को ग्राहकों के साथ सौम्य ढंग से पेश आने, अपनी सेवाओं और दरों का उचित ब्यौरा देने के अलावा सुरक्षित व बेहतर सेवाएं देने के तौर-तरीके सिखाए जाएंगे। उन्हें बताया जाएगा कि सेवा देते समय यात्रियों और उनके सामान की सुरक्षा को सर्वाधिक महत्व दिया जाना क्यों आवश्यक है। प्रशिक्षण के बाद अफसरों को प्रमुख स्टेशनों का दौरा कर कुलियों के बर्ताव में आए बदलाव की समीक्षा करनी होगी तथा यात्रियों से फीडबैक भी लेना होगा।

देश के सभी रेलवे स्टेशनों पर लाइसेंसी पोर्टरों के प्रशिक्षण का यह कार्य 30 सितंबर तक संपन्न हो जाएगा। निरीक्षण के लिए सभी स्टेशन प्रबंधकों को इसका रिकार्ड रखने को कहा गया है।

भारतीय रेलवे में 20 हजार से ज्यादा लाइसेंसी (लाल रंग की वर्दी के साथ बांह पर खास नंबर का पीतल का बिल्ला बांधने वाले) पोर्टर कार्यरत हैं। रेलवे के नियमित कर्मचारी न होने से ये वेतन व पेंशन के हकदार तो नहीं हैं। लेकिन अन्य कई सुविधाएं रेलवे कर्मचारियों जैसी ही हैं।

मसलन, स्लीपर/दूसरे दर्जे में यात्रा के लिए मुफ्त पास, पत्‌नी के साथ एक तिहाई किराये पर यात्रा का प्रिविलेज टिकट आर्डर (पीटीओ), रेलवे स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई तथा रेलवे अस्पतालों में ओपीडी इलाज की सुविधा आदि। इन्हें साल में दो मुफ्त वर्दियां (सर्दी व गर्मी के लिए) भी दी जाती है। साथ ही स्टेशन मास्टर की अनुमति से साल में एक बार छुट्टी के हकदार भी हैं। इन्हें अपना लाइसेंस अपने परिवार या नजदीकी रिश्तेदार को हस्तांतरित करने का अधिकार भी है।

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