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ऐसे फैल रहा है खतरनाक निपाह वायरस, इन फलों को भूलकर भी न खाएं

निपाह वायरस का मुख्य स्त्रोत चमगादड़ हैं, इसलिए पेड़ से गिरे कटे या फटे फलों से निपाह वायरस का खतरा हो सकता है।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 25 May 2018 11:45 AM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 09:18 AM (IST)
ऐसे फैल रहा है खतरनाक निपाह वायरस, इन फलों को भूलकर भी न खाएं
ऐसे फैल रहा है खतरनाक निपाह वायरस, इन फलों को भूलकर भी न खाएं

शिमला, रविंद्र शर्मा। फलों को खरीदने और उन्हें खाने के दौरान जरा सी लापरवाही महंगी पड़ सकती है। निपाह वायरस का सबसे बड़ा खतरा अब फलों से भी पैदा हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर प्रदेश में निर्देश जारी किए हैं। इनमें कहा गया है कि पेड़ से गिरे हुए, कटे या फटे फलों को खाने से निपाह वायरस का खतरा हो सकता है। फलों को निपाह वायरस से पीड़ित चमगादड़ द्वारा चाटा या खाया गया हो सकता है।

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प्रदेश सरकार के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सभी स्कूलों सहित लोक निर्माण विभाग, आइपीएच, पशुपालन विभाग सहित अन्य सभी विभागों में अलर्ट जारी कर दिया है। खासकर स्कूलों में निपाह वायरस से बचाव के लिए बच्चों को जागरूक करने को कहा है। निपाह ऐसा वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। यह जानवरों और इंसानों दोनों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। वायरस का मुख्य स्त्रोत वैसे चमगादड़ हैं जो फल खाते हैं। इसके अलावा पीने के पानी को लेकर भी सावधानी बरतने की जरूरत है। 

 दिमाग पर करता है अटैक
निपाह वायरस सबसे पहले व्यक्ति के दिमाग पर असर डालता है। इस वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्ति के दिमाग में सूजन हो जाती है। इसके बाद यह छाती में संक्रमण पैदा करता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत आनी शुरू हो जाती है। इससे व्यक्ति बेसुद होना शुरू हो जाता है।

कोई इलाज उपलब्ध नहीं बचाव में ही बचाव


इस वायरस का वर्तमान में कोई इलाज नहीं है। अन्य वायरस की तरह इसकी अभी कोई वैक्सीन नहीं बनी है। ऐसे में निपाह वायरस से बचाव में ही बचाव है। इसी चपेट में आने के बाद बचने के केवल तीस फीसद चांस होते हैं। इस वायरस की सबसे पहले पहचान 1998 में मलेशिया के निपाह इलाके में हुई थी। यह बीमारी चमगादड़ों से इंसानों और जानवरों तक में फैल गई थी। 2001 में बांग्लादेश में भी इस वायरस के मामले सामने आए थे।

इन फलों से करें परहेज
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार केरल सहित उसके पड़ोसी राज्यों से आने वाले फल जैसे केला, आम और खजूर खाने से परहेज करें।  

यह सावधानी बरतें
- निदेशक स्वास्थ्य विभाग डॉ. बलदेव ठाकुर के अनुसार चमगादड़ों की लार या पेशाब के संपर्क में न आएं।
-खासकर पेड़ से गिरे फलों को खाने से बचें।
-फलों को पोटाश वाले पानी में धोकर खाएं।
-संक्रमित सुअर और इंसानों के संपर्क में न आएं।
-जिन इलाकों में निपाह वायरस फैल गया है वहां न जाएं।


-व्यक्ति और पशुओं के पीने के पानी की टंकियों सहित बर्तनों को ढककर
-बाजार में कटे और खुले फल न खाएं।
-संक्रमित पशु के संपर्क में न आएं। खासकर सुअर के संपर्क में आने से बचें।
-निपाह वायरस के लक्षण पाए जाने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
-सभी विभागों को अलर्ट रहने को कहा गया है। स्कूलों में बच्चों को निपाह वायरस से बचाव को लेकर जागरूक करने को कहा है। कटे-फटे फलों से निपाह वायरस का खतरा अधिक है।

वर्मिन घोषित हैं चमगादड

सिरमौर के बर्मा पापड़ी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में चमगादड़ों की मौत के बाद से वन विभाग भी अलर्ट हो गया है। वन्य प्राणी विंग के मुखिया आरसी कंग ने सभी वनमंडलों को हिदायत जारी की है। उन्होंने कहा है कि अगर कहीं चमगादड़ की मौत होने की सूचना मिलती है तो उसे तत्काल प्रशासन के ध्यान में लाएं। स्कूल में मृत पाए चमगादड़ों में निपाह वायरस है या नहीं, इसका पता नमूनों की प्रयोगशाला की रिपोर्ट आने के बाद ही चल सकेगा। यह रिपोर्ट पुणे भेजी गई है। नाहन के डीएफओ को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

खतरा होने पर मार सकते हैं चमगादड़
चमगादड़ हिमाचल में पहले ही वर्मिन घोषित है। अगर यह खतरा पैदा करे तो इसे मारा जा सकता है। इसका मतलब है कि इसे मारने पर कानूनन कार्रवाई नहीं हो सकेगी। 

नहीं है कोई पुख्ता सूचना
वन विभाग के पास चमगादड़ों के बारे में कोई पुख्ता सूचना नहीं है। इनकी कितनी संख्या है, इस बारे में कोइ सर्वे नहीं हुआ है। अब विभाग सर्वे करवाने की पहल कर सकता है।


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