जब वर्चुअल सुनवाई में खामियां तो इलेक्ट्रानिक वोटिंग का आदेश कैसे : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि वीडियो कांफ्रेंसिंग में हमारे सामने दलील रखने में आप अपनी समस्या पर गौर करें। ऐसे में हम कैसे आम लोगों को इलेक्ट्रानिकली मतदान करने को कह सकते हैं?
नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कनेक्टिविटी मुद्दे का उल्लेख करते हुए पूछा कि कैसे वह आम लोगों को इलेक्ट्रानिक वोटिंग के लिए कह सकता है। वकील गालिब कबीर द्वारा शीर्ष कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में ऑनलाइन वोटिंग कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
वर्चुअल सुनवाई में स्क्रीन पर हाजिर होने के बाद कबीर ने अपनी दलीलें शुरू की। लेकिन प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि तकनीकी खामी के कारण लगता है कि वह मौन हो गए हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'वीडियो कांफ्रेंसिंग में हमारे सामने दलील रखने में आप अपनी समस्या पर गौर करें। ऐसे में हम कैसे आम लोगों को इलेक्ट्रानिकली मतदान करने को कह सकते हैं?'
सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन इलेक्ट्रानिक वोटिंग की अनुमति देने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को केंद्र सरकार के सामने आवेदन करने की स्वतंत्रता दी है।प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को याचिकाकर्ता बरुण बिस्वास को इस मुद्दे पर फैसला लेने के लिए केंद्र सरकार के सामने आवेदन पेश करने को कहा।
'कोरोना में हर कैदी को जमानत पर छोड़ने को नहीं कहा'
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उसने कोरोना काल में जेल में बंद कैदियों को संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें अंतरिम जमानत या पैरोल पर छोड़ने का निर्देश दिया था, लेकिन इसका यह मतलब नहीं था कि हर विचाराधीन कैदी या सजायाफ्ता को उसके अपराध की प्रकृति या गंभीरता पर विचार किए बिना ही छोड़ दिया जाए। कोरोना वायरस को महामारी घोषित किए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने जेलों में कैदियों के बीच समुचित शारीरिक दूरी बनाए रखने की जरूरत पर गौर किया था और 23 मार्च को सभी राज्यों को उच्चाधिकार समितियां (एचपीसी) गठित करने का निर्देश दिया था।