जरूर पढ़ें: किस तरह छोटे भूकंप बड़ी तबाही को थामे हुए हैं
नेपाल में पिछले 80 साल में आये 7.9 तीव्रता के सबसे बड़े भूकंप के बाद लग रहे झटकों से लोगों की सांसें अटकी हैं। हालांकि कुछ भू वैज्ञानिक भविष्य के लिहाज से इसे ठीक मानते हैं।
नेपाल में पिछले 80 साल में आये 7.9 तीव्रता के सबसे बड़े भूकंप के बाद लग रहे झटकों से लोगों की सांसें अटकी हैं। हालांकि कुछ भू वैज्ञानिक भविष्य के लिहाज से इसे ठीक मानते हैं। उनका मानना है कि इस संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में 9.0 तीव्रता से बड़ा भूकंप की आशंका भविष्य में बनी हुई है। लेकिन अगर बीच-बीच में धरती छोटे-छोटे भूकंपों के रूप में अपनी ऊर्जा उन्मुक्त कर दे तो इस बड़े भूकंप का खतरा टल सकता है। पेश है एक नजर:
कारण
-हिमालय के इस क्षेत्र में यूरेशिया और भारत की टेक्टॉनिक प्लेटें मिलती हैं।
-भारतीय प्लेट यूरेशियाई प्लेट को उत्तर और उत्तर पश्चिम की ओर धकेल रही है।
दबी ऊर्जा:
-लिहाजा इस इलाके पर काफी दबाव हैं और यहां बड़े स्तर पर उर्जा दबी हुई है। अगर किसी बड़े भूकंप की परिणति से यह सारी ऊर्जा एक बार ही अवमुक्त हो जाए तो किसी अनहोनी को खारिज नहीं किया जा सकता है।
-शनिवार को आया भूकंप विस्फोट की 100 मेगाटन टीएनटी ऊर्जा के बराबर था।
-हिंदूकुश से लेकर अरुणाचल के 2500 किमी के क्षेत्र में बहुत अधिक ऊर्जा दबी है।
- इस दबी ऊर्जा की तुलना में शनिवार को आया भूकंप मामूली था।
- क्षेत्र में 9 से अधिक की तीव्रता वाले भूकंप आने पर ही यह ऊर्जा निकल पाएगी।
-9 की तीव्रता वाला भूकंप 8 की तीव्रता से 32 गुना ज्यादा तेज होता है।
-लिहाजा इस तरह का भूकंप आने पर इस क्षेत्र में संपूर्ण तबाही होगी।
कैसे हो सकता है बचाव
वैज्ञानिकों के मुताबिक यदि इस क्षेत्र में 7 से 8 तीव्रता वाले 40 से 50 भूकंप आते हैं तो ही संभव है कि 9 की तीव्रता वाले बड़े भूकंप का खतरा टल जाए।