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उपयोगिता के बहाने पीएमओ ने नहीं दिया आरटीआइ का जवाब

नई दिल्ली। सूचना के अधिकार [आरटीआइ] कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी ने एक आवेदनकर्ता को सूचना देने से इन्कार कर दिया है। मांगी गई सूचना देने के बजाय उसने कहा है कि आवेदक यह बताने में असमर्थ रहा कि वह जानकारी उसके लिए व्यक्तिगत, सामाजिक या राष्ट्रीय स्तर पर किस

By Edited By: Published: Mon, 01 Apr 2013 08:25 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2013 08:56 PM (IST)
उपयोगिता के बहाने पीएमओ ने नहीं दिया आरटीआइ का जवाब

नई दिल्ली। सूचना के अधिकार [आरटीआइ] कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी ने एक आवेदनकर्ता को सूचना देने से इन्कार कर दिया है। मांगी गई सूचना देने के बजाय उसने कहा है कि आवेदक यह बताने में असमर्थ रहा कि वह जानकारी उसके लिए व्यक्तिगत, सामाजिक या राष्ट्रीय स्तर पर किस तरह उपयोगी है। आरटीआइ कानून के प्रावधानों के तहत उसे ऐसा पूछने का कोई अधिकार नहीं है। केंद्रीय सूचना आयोग [सीआइसी] के समक्ष मामला जाने पर वह उस अधिकारी के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही भी शुरू कर सकता है।

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आरटीआइ कार्यकर्ता कोमोडोर [सेवानिवृत्त] लोकेश बत्रा को केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी [सीपीआइओ] से यह जवाब तब मिला जबकि उसके वरिष्ठ अपीलीय प्राधिकरण ने मांगी गई सूचना देने का निर्देश दिया था। बत्रा ने पीएमओ से उन फाइलों और रिकॉ‌र्ड्स का ब्योरा मांगा था जिनका कंप्यूटरीकरण वह कर चुका है। आरटीआइ कानून की धारा 4(1)(ए) के तहत ऐसा करने का आदेश है।

वरिष्ठ अधिकारी के निर्देशों का पालन करने के बजाय सीपीआइओ एसई रिजवी ने सूचना देने से यह कहकर इन्कार कर दिया है कि आवेदक ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि किस तरह वह सूचना उसे व्यक्तिगत, सामाजिक या राष्ट्रीय स्तर पर उपयोगी रहेगी? उल्लेखनीय है कि आरटीआइ कानून के तहत आवेदक को सूचना मांगते समय कोई कारण बताने की जरूरत नहीं है। सूचना देने से केवल तभी इन्कार किया जा सकता है जब वह पारदर्शिता कानून के तहत छूट के प्रावधानों की धारा के तहत आती हो।

आरटीआइ कानून की धारा 4(1)(ए) कहती है कि हर लोक प्राधिकरण अपने सभी रिकार्ड सूचीबद्ध करके क्रमबद्ध ढंग से इस तरह रखेगा जो इस कानून के तहत सूचना के अधिकार को सुगम बनाए। पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त एएन तिवारी ने इस मुद्दे पर कहा कि सीपीआइओ यह नहीं पूछ सकता कि आरटीआइ आवेदक के लिए यह सूचना कैसे उपयोगी है। यदि आवेदक केंद्रीय सूचना आयोग के पास जाता है तो आयोग सीपीआइओ के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही शुरू कर सकता है।

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