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इंजेक्‍शन से नहीं बल्कि सांस से दी जाएगी कीमोथेरेपी, लंग कैंसर के लिए नया प्रयोग

वैज्ञानिक नजरुल इस्लाम ने कहा ‘हम इनहेलर के जरिये चिटोसन के नैनोपार्टिकल की मदद से दवा को सांस के रास्ते सीधे फेफड़े तक पहुंचाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।’

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 01:37 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 01:45 PM (IST)
इंजेक्‍शन से नहीं बल्कि सांस से दी जाएगी कीमोथेरेपी, लंग कैंसर के लिए नया प्रयोग
इंजेक्‍शन से नहीं बल्कि सांस से दी जाएगी कीमोथेरेपी, लंग कैंसर के लिए नया प्रयोग

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। फेफड़े के कैंसर के इलाज के लिए वैज्ञानिक टार्गेटेड कीमोथेरेपी को लेकर नया प्रयोग कर रहे हैं। वैज्ञानिकों की तैयारी है कि इंजेक्शन या दवा के रूप में देने के बजाय सांस के रास्ते कीमोथेरेपी दी जाए। ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक नजरुल इस्लाम ने बताया कि फेफड़े का कैंसर सबसे ज्यादा होने वाले और सर्वाधिक जानलेवा कैंसर में शुमार है।

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इस्लाम ने कहा, ‘हम इनहेलर के जरिये चिटोसन के नैनोपार्टिकल की मदद से दवा को सांस के रास्ते सीधे फेफड़े तक पहुंचाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।’ चिटोसन एक प्राकृतिक पॉलीमर है, जो अपने आप विघटित हो जाता है। इसके साथ दवाओं को आसानी से जोड़ा जा सकता है। वैज्ञानिक चिटोसन का ऐसा प्रकार खोज रहे हैं, जो फेफड़े के विशेष ऊतकों (टिश्यू) तक पहुंचकर पूरी तरह विघटित हो जाए और उसके साथ भेजी गई दवा अपना काम कर सके।

जानें क्‍या है कीमोथेरेपी

कीमोथेरेपी ड्रग्स वो दवाएं हैं जिनका प्रयोग कैंसर के सेल्स को खत्म करने के लिये किया जाता है, इनसे ट्यूमर सिकुड़ जाते हैं और कैंसर फैलने भी नहीं पाता है। सामान्यत: सभी ड्रग्स कैंसर के सेल्स को खत्म करने का काम करते हैं या कैंसर के सेल्स को बढ़ने से रोकते है। कैंसर के सेल्स को खत्म करने के लिए कीमोथेरेपी भी एक अच्छा तरीका है। कीमोथेरेपी कैंसर के सेल्स को शरीर के दूसरे भाग में नहीं फैलने देता जैसे कि हड्डियों में, लीवर में या दिमाग में।

कीमोथेरेपी के साइडइफेक्‍ट्स

कैंसर जानलेवा बीमारी है, कीमोथेरेपी से उन खतरनाक सेल्‍स को काबू में किया जाता है। लेकिन कीमोथेरेपी के दौरान प्रयोग की जाने वाली दवाओं अतिरिक्त प्रभाव भी हो सकते हैं। इनमें से सामान्य है थकान, नींद नआना, लगातार उल्टियां होना, दस्त, मुंह में घाव होना, बालों का झड़ना, त्‍वचा पर चकत्ते, खून की कमी होना, आदि। इसके कारण ब्‍लड में इंफेक्‍शन और खून का बहाव भी हो सकता है। दूसरे अतिरिक्त प्रभाव जैसे एलर्जिक‍ क्रिया, स्तब्ध हो जाना, हाथों और पैरों में झुनझुनी होना, ब्लैडर से खून का आना।

गर्भावस्‍था के दौरान इन दवाओं का प्रयोग बिलकुल नहीं करना चाहिए, इससे गर्भ को भी परेशानी हो सकती है। कुछ प्रकार की कीमोथेरेपी ड्रग्स से इन्फर्टिलिटी भी हो सकती है। अगर आप आने वाले सालों में बच्चा‍ चाहते हैं तो कीमोथेरेपी से पहले चिकित्सक की सलाह लें। एक तरफ जहां कीमोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए रोगियों को दी जाती है वहीं इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने का खतरा भी बना रहता है। साथ ही इससे इससे वजन कम हो जाता है व रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा व प्लेटलेट्स की संख्या भी घट जाती है।

कीमोथेरेपी साइडइफेक्‍ट्स का उपचार

कीमोथेरेपी के साइड-इफेक्‍ट पर नियंत्रण पाने में सबसे अधिक योगदान खानपान का होता है। यदि आपको कीमोथेरेपी के कारण मतली या उल्‍टी की शिकायत है तो खाने में तला-भुना, ज्‍यादा मसालेदार, अधिक नमक युक्‍त आदि खाने से परहेज करना चाहिए। इस‍की जगह पर संतुलित और आसानी से पचने वाला आहार लेना चाहिए।

नियमित व्‍यायाम को अपने जीवन में शामिल कीजिए, सुबह के समय 40 से 50 मिनट व्‍यायाम, योग और मेडीटेशन के लिए दीजिए। चूंकि इस समय बालों के गिरने की समस्‍या भी होती है ऐसे में बालों में ड्रायर का प्रयोग न करें, हेयर डाई न लगायें। इसके अलावा धूम्रपान और शराब का सेवन बिलकुल न करें, अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन भी न करें। कीमोथेरेपी बहुत ही दर्दनाक प्रक्रिया होती है, इससे उबरने के बाद यदि आपको इसके साइड-इफेक्‍ट से जूझने पर भी हिम्‍मत से काम लें। हमेशा चिकित्‍सक के संपर्क में भी रहें।


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