DATA STORY : जानें, कोरोना के बाद लोग किस तरह करना चाहते हैं सफर
ऑस्ट्रेलिया अमेरिका और चीन के क्रमश 42 फीसद 41 फीसद और 38 फीसद लोग कोरोना के बाद ज्यादा कार चलाना चाहते हैं। कार चलाने की चाहत रखने वालों में भारत 5वें नंबर पर हैं। ब्रिटेन की एजेंसी यूगव और कैंब्रिज ग्लोब्लाइजेशन के सर्वे में ये रोचक जानकारियां सामने आई हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। क्या आप जलवायु परिवर्तन के खतरों को समझते हैं? कोविड-19 महामारी खत्म होने के बाद आप कैसे सफर करना चाहेंगे? जब ये सवाल 25 देशों के 26 हजार लोगों से पूछे गए तो कई रोचक उत्तर सामने आए। 44 फीसद भारतीयों का कहना है कि वे महामारी खत्म होने के बाद कार से ज्यादा सफर करना चाहते हैं। वहीं 27 फीसद भारतीय ऐसे भी हैं, जो कोविड-19 युग के बाद कार से कम चलना चाहते हैं। कार से ज्यादा चलने की चाहत रखने वालों में सबसे ज्यादा ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के लोग (दोनों देशों में 60 फीसद लोग) हैं। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और चीन के क्रमश: 42 फीसद, 41 फीसद और 38 फीसद लोग कोरोना के बाद ज्यादा कार चलाना चाहते हैं। कार चलाने की चाहत रखने वालों में भारत 5वें नंबर पर हैं। ब्रिटेन की एजेंसी यूगव और कैंब्रिज ग्लोब्लाइजेशन के सर्वे में ये रोचक जानकारियां सामने आई हैं।
जलवायु परिवर्तन के खतरे को समझते हैं भारतीय
सर्वे में पाया गया कि लोग भविष्य में और अधिक ड्राइव करने की योजना बना रहे हैं, जैसा कि कोरोना वायरस महामारी से पहले किया करते थे। हालांकि, लोग यह भी मानते हैं कि जलवायु संकट के लिए मानव ही जिम्मेदार हैं। लेकिन वे निजी वाहनों से सफर करना चाहते हैं। जाहिर तौर पर इससे जलवायु संकट बढ़ेगा। यानी जब तक सरकारें सख्ती नहीं करेंगी, जलवायु संकट, ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण की समस्या बरकरार रहेंगी। भारत में 50 फीसदी लोगों का कहना है कि वे जलवायु परिवर्तन के खतरे को समझते हैं। जबकि दुनिया के तीन में से दो लोग जलवायु परिवर्तन के लिए पूरी तरह से मानव क्रियाकलापों को जिम्मेदार मानते हैं। जलवायु परिवर्तन के खतरे को समझने वालों में दुनिया के टॉप-10 देश- ग्रीस, ब्राजील, चीन, ब्रिटेन, नाइजीरिया, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, भारत, अमेरिका और सऊदी अरब के लोग हैं।
फ्लाइट से तौबा
42 फीसद भारतीयों का कहना है कि वे कोरोना काल के बाद भी फ्लाइट से यात्रा करने से बचने की कोशिश करेंगे। वहीं, 21 फीसद भारतीय कोविड काल के बाद फ्लाइट से सफर करना चाहते हैं। खास बाद यह है कि फ्लाइट से बचने की कोशिश करने वालों में भारतीय दुनिया में सबसे आगे हैं। इटली, चीन और जर्मनी के क्रमश: 34, 32 और 31 फीसद लोग फ्लाइट से कम सफर करना चाहते हैं।