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आतंकी ट्रेनिंग में टिक न पाने वाला मसूद अजहर कैसे बना आत्मघाती हमलों का मास्‍टरमाइंड, पढ़ें पूरी कहानी

कभी ऐसा था जब थुलथुल शरीर वाला मसूद अजहर कठोर आतंकी ट्रेनिंग में टिक नहीं पाया था। फिर आत्मघाती हमलों का मास्‍टरमाइंड कैसे बन गया जानिए इस आतंक के आका की पूरी कहानी...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 01 May 2019 10:54 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2019 11:01 PM (IST)
आतंकी ट्रेनिंग में टिक न पाने वाला मसूद अजहर कैसे बना आत्मघाती हमलों का मास्‍टरमाइंड, पढ़ें पूरी कहानी
आतंकी ट्रेनिंग में टिक न पाने वाला मसूद अजहर कैसे बना आत्मघाती हमलों का मास्‍टरमाइंड, पढ़ें पूरी कहानी

नई दिल्ली, नीलू रंजन। दुनिया ने भले ही अब जाकर औपचारिक रूप से मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी माना है, लेकिन आतंक के खूनी खेल का उसका इतिहास बहुत पुराना है। माना जात है कि भारत में मसूद अजहर ने ही आत्मघाती हमलों की शुरुआत कराई थी। यह भी कहा जाता है कि कभी ऐसा वक्‍त था जब थुलथुल शरीर वाला यह अजहर कठोर आतंकी ट्रेनिंग में टिक नहीं पाया था। इन सबके बावजूद, वह आत्मघाती हमलों का मास्‍टरमाइंड कैसे बन गया, जानिए इस आतंक के आका की पूरी कहानी...

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जेल से रिहा होने के बाद बरपाया कहर
कराची के एक मदरसे में पढ़ाई करने वाला मसूद आतंकी फंडिंग के लिए कई देशों की यात्रा कर चुका है। लेकिन, आतंक का उसका सबसे भयावह चेहरा 1999 में विमान अपहरण के बाद भारतीय जेल से रिहा होने के बाद सामने आया। भारत में आत्मघाती आतंकी हमलों की शुरुआत मसूद ने ही की थी। मसूद कश्मीर विधानसभा, भारतीय संसद, पठानकोट एयरबेस और पुलवामा जैसे कई आत्मघाती हमलों का मास्टरमाइंड रहा है।

11 भाई-बहनों वाले परिवार में हुआ था पैदा
साल 1968 में 11 भाई-बहनों वाले परिवार में पैदा हुए मसूद अजहर का रूझान शुरू ही आतंकवाद की ओर था। करांची के जामिया उलूम उल इस्लामिया में पढ़ने के दौरान ही वह आतंकी संगठन हरकत-उल-अंसार के संपर्क में आ गया था। वह खुद आतंकी बनना चाहता था और इसके लिए ट्रेनिंग के लिए भी गया था। लेकिन, छोटे और थुलथुल शरीर वाला अजहर कठोर आतंकी ट्रेनिंग में टिक नहीं पाया। अपनी जहरीली आतंकी जुबान और लेखनी के बल पर वह जल्द ही हरकत-उल-अंसार की उर्दू पत्रिका साद-ए-मुजाहिद्दीन और अरबी भाषा की सावत-ए-कश्मीर का संपादक बना गया।

अलकायदा नेताओं से नैरोबी में की थी मुलाकात 
बाद में अज़हर हरकत-उल-अंसार का जनरल सेक्रेटरी भी बन गया और नई भर्तियां करने, चंदा इकट्ठा करने और प्रचार-प्रसार करने के लिए देश-विदेश की यात्राएं करने लगा। इस सिलसिले में उसने जाम्बिया, अबु धाबी, सऊदी अरब, मंगोलिया, ब्रिटेन और अल्बानिया का दौरा किया। साल, 1993 में वह अल कायदा के सोमालियाई समर्थक संगठन अल-इतिहाद-अल-इस्लामिया के नेताओं से मिलने केन्या के नैरोबी भी गया था। तीन बार वह गृहयुद्ध से त्रस्त सोमालिया भी जा चुका है।

1994 में आया था कश्‍मीर
भारत में इस आतंकी सरगना की एंट्री 1994 में कश्मीर में हुई। इसे यहां विभिन्न आतंकी संगठनों के बीच आपसी दुश्मनी को खत्म करके एकजुट करने के लिए भेजा गया था। जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। पूछताछ में अजहर बहुत कमजोर निकला और एक थप्पर खाते ही सच्चाई उगलने लगा। लेकिन, आइएसआइ और आतंकी सरगनाओं को मसूद की अहमियत मालूम थी इसीलिए उसे जेल से छुड़ाने की कोशिशें शुरू हुई। विमान अपहरण के बाद रिहा हुआ था मसूद साल 1999 में एयर इंडिया के विमान अपहरण के बाद भारत को दो अन्य आतंकियों के साथ मसूद को भी छोड़ना पड़ा था। माना जा रहा है कि मसूद अजहर की रिहाई और विमान अपहरण की साजिश में आइएसआइ और अफगानिस्तान की तत्कालीन तालिबान सरकार के साथ-साथ अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन की सक्रिय भूमिका थी।

जैश का किया था गठन
भारतीय जेल से रिहा होने के बाद मसूद अजहर का सबसे खौफनाक आतंकी चेहरा सामने आया था। पाकिस्तान पहुंचते ही उसने जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया था। आतंकी गतिविधियों की फंडिंग और नौजवानों को भड़काने के लिए उसने बहावलपुर में एक बड़ी मस्जिद और मदरसे का निर्माण कराया था। इसके बाद कश्मीर विधानसभा में पहला आत्मघाती कर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सामने नई चुनौती पेश की थी। बाद में भारतीय संसद पर आतंकी हमला करके उसने जैश-ए-मोहम्मद को बड़े आतंकी संगठन के रूप में पहचान दिलाई।

मुशर्रफ को मारने की कोशिश की थी
बाद में भारत के कड़े रुख के बाद उसको नजरबंद भी किया गया था, लेकिन इस कार्रवाई से वह साफ बच निकला। मसूद के मंसूबे इतने बढ़ गए थे कि पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से मतभेद होने पर उसने दो बार उन्हें मारने की कोशिश की और आत्मघाती हमला कराया। लेकिन आइएसआइ के संरक्षण में पल रहे इस आतंकी का मुशर्रफ भी बाल-बांका नहीं कर सके। इतना जरूर हुआ कि उसने अपनी आतंकी गतिविधियों को कश्मीर तक सीमित कर दिया।

पठानकोट हमले को दिया था अंजाम
जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला कराकर मसूद अजहर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत के खिलाफ छद्म युद्ध में वह पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार है। यही नहीं, वह आइएसआइ के इशारे पर उड़ी से लेकर पुलवामा तक एक के बाद एक आतंकी हमले करता रहा। पाकिस्तानी सेना और सरकार के संरक्षण और चीन के समर्थन के बल पर मसूद अजहर पाकिस्तान में बेखौफ आतंकी गतिविधियां चला रहा था।


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