दो बेटियों को नहीं पाल पा रही थी काम वाली बाई...पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अपनाई
दुदावत ने ग्वालियर की बाल कल्याण समिति के समक्ष आवेदन दिया कि उन्हें दो बेटियों की फॉस्टर केयर लेना है। समिति के तत्कालीन अध्यक्ष केके दीक्षित ने पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता से चरित्र प्रमाण पत्र मांग लिया। साथ ही समिति ने देरी भी की और फॉस्टर केयर भी नहीं दी।
ग्वालियर, वरण शर्मा। घर में बर्तन मांजने और साफ-सफाई का काम करने वाली कामकाजी महिला (बाई) गौरी (परिवर्तित नाम) ने सोचा नहीं था कि उसकी दो बेटियों को एक बड़े घर में बेहतर परवरिश मिलेगी। जिस घर में गौरी काम करती है, वह ग्वालियर के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता देवेंद्र दुदावत ( बदला हुआ नाम) का है। गौरी के पति का असमय देहांत होने और आर्थिक तंगी होने के कारण वह अपनी दो बेटियां (एक सात साल, दूसरी 10 साल) की ठीक से परवरिश नहीं कर पा रही थी।
गौरी की यह व्यथा देख दुदावत परिवार ने दोनों बेटियों को अपने घर की लाडो बना लिया। परिवार ने विधिवत पहल कर जिला प्रशासन से निवेदन किया और पोषण देखरेख (फॉस्टर केयर) के नियम के तहत बेटियों को अपना लिया। अब दुदावत परिवार का संकल्प है कि दोनों बेटियों को पढ़ा-लिखाकर, पैरों पर खड़ा कर शादी करने तक का बीड़ा उठाएंगे।
परवरिश के लिए लड़ाई भी लड़ी
दुदावत ने ग्वालियर की बाल कल्याण समिति के समक्ष आवेदन दिया कि उन्हें दो बेटियों की फॉस्टर केयर लेना है। समिति के तत्कालीन अध्यक्ष केके दीक्षित ने पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता से चरित्र प्रमाण पत्र मांग लिया। साथ ही समिति ने देरी भी की और फॉस्टर केयर भी नहीं दी। समिति का असंवेदनशील रवैया देख दुदावत ने कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के कार्यालय में आवेदन दिया। कलेक्टर ने तत्काल एक साल तक की अविध के लिए फॉस्टर केयर के आदेश जारी कर दिए।
स्कूल में कराया एडमिशन, खाते खुलवाए
पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता ने फॉस्टर केयर का अधिकार मिलने के बाद दोनों बेटियों का शहर के अच्छे स्कूल में एडमिशन कराया है। घर में पढ़ाई के लिए भी वे स्वयं समय निकालकर ध्यान देते हैं। शासन से फॉस्टर केयर के तहत दो हजार रुपए प्रतिमाह राशि बच्चे को मिलती है, उसे जमा करने के लिए उन्होंने दोनों बेटियों के बैंक खाते खुलवाए हैं। बाद में यह राशि इन्हीं बच्चियों के काम आएगी।
ग्वालियर की जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी शालीन शर्मा ने बताया कि ऐसी सकारात्मक पहल से समाज को अच्छा संदेश मिलता है। पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता ने आगे आकर अपने घर काम करने वाली महिला (बाई) की बेटियों को फॉस्टर केयर में लिया है। अब उन बेटियों का बेहतर भविष्य बन सकेगा।