बिल्डरों पर नकेल कसने को मकान खरीददारों को मिला हथियार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस अध्यादेश के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिल्डरों पर नकेल कसने के लिए सरकार ने मकान खरीददारों को एक नया हथियार दिया है। केंद्र ने सवा साल पहले दिवालियेन के मामले सुलझाने के लिए बनाए गए नए कानून 'इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड' (आइबीसी) में एक अध्यादेश के जरिए संशोधन करने का अहम फैसला किया है।
-सरकार ने आइबीसी में संशोधन कर मकान खरीदने वालों को भी दिया लेनदारों का दर्जा
-एमएसएमई को भी राहत
सरकार के इस कदम के बाद मकान खरीददार भी बैंक और वित्तीय संस्थानों की तरह वित्तीय लेनदारों की श्रेणी में आएंगे। ऐसा होने पर रियल एस्टेट कंपनी के दिवालिया होने की स्थिति में बकाया राशि वसूलने में मकान खरीददारों को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे मकान खरीददारों को बिल्डर से अपना पैसा जल्द वसूलने में मदद मिलेगी। माना जा रहा है कि केंद्र के इस कदम से जेपी इन्फ्राटेक जैसे मामलों में मकान खरीददारों को राहत मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस अध्यादेश के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा।
सरकार ने यह संशोधन 14 सदस्यीय एक समिति की सिफारिश के आधार पर किया है। इस समिति ने मकान खरीददारों की परेशानी को दूर करने के लिए इस तरह के प्रावधान की सिफारिश की थी। समिति ने कहा था कि मकान खरीदने वालों के भी वित्तीय लेनदारों की श्रेणी में रखा जाए, ताकि दिवालियेपन के मामलों को सुलझाने की प्रक्रिया में वे भी शामिल हो सकें। इसके अलावा समिति ने कई अन्य सिफारिशें भी की थीं। इससे पहले सरकार ने पिछले साल नवंबर में आइबीसी की धारा 29ए में संशोधन कर दिवालिया घोषित होने वाली कंपनी को खरीदने वाले चार प्रकार के संभावित खरीददारों को अयोग्य घोषित किया था।
सूत्रों ने कहा कि आइबीसी की धारा 53 के तहत मकान खरीददार भी वित्तीय लेनदारों की श्रेणी में आएंगे। इसका मतलब यह है कि मकान खरीददारों के प्रतिनिधि भी कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स यानी लेनदारों की समिति के सदस्य होंगे।
कैबिनेट की बैठक के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि अध्यादेश को मंजूरी दी गयी है। हालांकि उन्होंने संवैधानिक बाध्यता का हवाला देकर इसका ब्यौरा देने से इंकार कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक आइबीसी में संशोधन के जरिए सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को भी बड़ी राहत दी है। दिवालियेपन के मामलों में अब उन पर पहले की तरह शर्ते लागू नहीं होंगी।
आइबीसी दिसंबर 2016 में लागू हुई थी। इसके तहत समयबद्ध ढंग से दिवालियेपन के मामले सुलझाने का प्रावधान है।