Holi Special: चीन ने नहीं लिए पाकिस्तान के ये गधे तो फिर क्या करेंगे इमरान खान!
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बीते दिनों एक बैठक बुलाई जिसमें दो और खास लोग थे- एक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और दूसरा जेहादी तंजीम का सगरना।
चौतरफा दबाव से घिरे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बीते दिनों एक खास बैठक बुलाई। इस बैठक में केवल दो और खास लोग थे- एक पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और दूसरा, जेहादी तंजीम का सगरना। यह बैठक इतनी खुफिया थी कि किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी, लेकिन इस बैठक में क्या बातचीत हुई, इसकी एक आडियो क्लिप एक्सक्लूसिव होकर हमारे हाथ लग गई। यह बातचीत ऐसी थी कि इसे हमने अपने पाठकों के लिए होली की एक्सक्लूसिव सामग्री बनाना बेहतर समझा। राजीव सचान पेश कर रहे हैं इस बातचीत का पूरा ब्योरा-
बाजवा- जनाब आपने यह क्यों कह दिया कि मैं नोबेल के काबिल नहीं? इसकी मांग तो इंडिया के भी कुछ लोग कर रहे थे... और ये हिंदी में ट्वीट कराने की क्या जरूरत थी?
इमरान- दरअसल मैं अपने मुल्क के लोगों को यह जाहिर करना चाहता था कि मैं हिंदुस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना जानता हूं।
बाजवा- यह तो ठीक है, पर नोबेल से इन्कार क्यों?
इमरान-पहले ये बताओ, आप मेरे मददगार हैं या मुखालिफ ?
बाजवा- अरे! जनाब ऐसा क्यों कह रहे हैं?
इमरान- इसलिए कह रहा हूँ कि अभी तक मुल्क के दो लोगों को नोबेल से नवाजा गया है। एक थे डॉ अब्दुस सलाम साहब जिनकी लोगों ने उनके जीते जी तो बेइज्जती की ही, मरने के बाद भी की और यहां तक कि उनकी कब्र को भी सलामत नहीं रहने दिया। दूसरी वह मलाला है, जिसकी हमारे अपने लोग ही इतनी मज्जमत करते हैं कि वह मुल्क आने से भी तौबा करती है। क्या आप चाहते हैं कि मेरी भी ऐसी ही दुर्गति हो? अभी तो मैं प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ भी नहीं पाया हूं।
आतंकी सरगना- अरे हुजूर तो आप निशाने पाकिस्तान ले सकते हैं।
बाजवा- अरे नहीं! अभी ऐसा नहीं कर सकते।
आतंकी सरगना- भला क्यों नहीं कर सकते। इसके लिए तो टूटर पर भी किसी से गुजारिश करने की जरूरत नहीं।
बाजवा-अबे गधे, टूटर नहीं ट्वीटर.. और तूझे दिख नहीं रहा कि जो आदमी हिंदुस्तान के निशाने पर है वह निशाने पाकिस्तान कैसे ले सकता है?
आतंकी सरगना-हां यह बात तो है, लेकिन बाजवा साहब हिंदुस्तान के निशाने पर तो आप भी हो।
इमरान-अबे सबसे ज्यादा तो तू है। तूझे पता है बालाकोट में तेरे कितने लड़कों की चटनी बना गए इंडिया वाले?
आतंकी सरगना-देखो साहब कितने भी मरे हों,पर चटनी का नाम न लो। जबसे इंडिया से टमाटर की आमद रुकी है तबसे खाने में मजा नहीं आ रहा। बीवियां ताने अलग से मार रही हैं।
इमरान-बाजवा साहब, ये बात तो सही कह रहा है। टमाटर की तंगी दूर करने का कोई जतन किया है आपने? कुछ सोच रहे हैं?
बाजवा- सोचा क्या है! कश्मीर गए अपने लड़कों से कहा है कि बम-बंदूकें छोड़कर जितना भी टमाटर हाथ लगे, लेकर जल्दी लौट आएं।
आतंकी सरगना- लेकिन हुजूर हमारे जेहादी तो इसके लिए ट्रेंड ही नहीं हैं और अगर वे थोड़ा- बहुत टमाटर ले भी आए तो आपको क्यों देंगे?
बाजवा- देंगे नहीं तो लूट लेंगे सालों से!
इमरान-क्या बाजवा साहब आप भी! अब आप टमाटर लूटने का काम करेंगे। क्या इज्जत रह जाएगी हमारी फौज की।
आतंकी सरगना- इज्जत तो तब रहेगी जब होगी।
बाजवा- क्या बोला बे!
इमरान-अरे यार, लड़ो नहीं। यह सोचो इस मुसीबत से कैसे बचें? मोदी ने बोला है कि घर में घुसकर मारेंगे।
बाजवा- बच जाएंगे। आप बस ऐलान कर दो कि अब हम आतंकी संगठनों पर सचमुच की असली वाली पाबंदी लगाने जा रहे हैं।
आतंकी सरगना-हुजूर आप पाबंदी का पर्चा निकालो। हम भी जूलूस निकालकर और जलसा करके ऐलान करेंगे-दुनिया वालों, कान खोलकर सुन लो, हमारी हुकूमत ने हम पर असल पाबंदी लगा दी है। हम बहुत परेशान हैं। गिनती करना मुश्किल हो रहा है कि हम पर कितनी बार पाबंदी लग चुकी है।
इमरान-और मसूद अजहर का क्या करेंगे?
बाजवा- करना क्या है! उसका एक वीडियो जारी करा देंगे जिसमें वह खुद ही कह रहा होगा कि मैं अमुक दिन इतने बजे इंतकाल फरमा गया हूं।
इमरान-क्या दुनिया और खासकर इंडिया यकीन कर लेगा?
आतंकी सरगना- यकीन क्यों नहीं करेगा! हम भी तो ऐलान करेंगे- इंडिया वालों अपनी खैरियत चाहते हो तो हम पर यकीन करो।
बाजवा-लेकिन ट्रेनिंग ले रहे जिहादियों का क्या करेंगे? वे तो कहीं भी महफूज नहीं रहे। बालाकोट में इंडिया की एयर स्ट्राइक के बाद उनकी हिफाजत करनी मुश्किल हो रही है।
इमरान-वैसे कितने मारे गए वहां पर?
आतंकी सरगना-हम क्यों बताएं? बता देंगे तो फिर इंडिया में अपोजीशन वाले मोदी से सवाल करना बंद कर देंगे।
बाजवा- हां, यह तो बिल्कुल नहीं बताना, नहीं तो कल को जिहादियों के नाम-पते,मोबाइल नबंर और उनके कच्छे- बनियान के साथ कुर्ते-पाजामे का साइज भी बताना पड़ सकता है।
इमरान-हां, यह सही है। इस बारे में हम बोलेंगे तो इंडिया में अपोजीशन वालों के पास बोलने को क्या रह जाएगा?
आतंकी सरगना- यह सब तो दुरुस्त है साहब, लेकिन अब हम करें क्या? हमारे लड़के क्या करें?
बाजवा-यही तो मुसीबत है।
इमरान-अब तो ये जिहादी किसी काम के नहीं रहे। इनसे भले तो हमारे मुल्क के गधे हैं।
आतंकी सरगना-क्या!अब हम गधों से भी बदतर हो गए!
इमरान- हां, कम से कम गधों को चीन को बेचकर कुछ पैसा तो कमा लेते हैं हम।
बाजवा- क्यों न हम चीन से कहें कि अब हमारे यहां दो पैर वाले गधों की भी खेप तैयार है। शायद वह लेने को तैयार हो जाए।
आतंकी सरगना-क्या कह रहे हो आप लोग? चीन को इतना गधा समझ रखा है क्या?
इमरान-और नहीं तो क्या। यह गधापन ही तो है जो वह बार-बार कर इतने बड़े आतंकी-मसूद अजहर की तरफदारी करते नहीं थकता।
बाजवा-लेकिन अगर चीन हमारे इन गधों..मतलब जिहादियों को लेने को तैयार नहीं होता तो?
इमरान- तो?… तो भी इस मसले का हल है।
आतंकी सरगना-क्या हल है?
बाजवा-हां बताओ भाई, क्या हल है?
इमरान- हल ही तो हल है। हम जिहादियों को एक-एक हल देकर कहेंगे, जाओ टमाटर की खेती करो।
बाजवा- सही है जनाब। अब आप यह एलान कर दो कि नया पाकिस्तान पहले टमाटरिस्तान बनेगा।