Move to Jagran APP

इतिहास-अदालत के झरोखों से राम जन्म भूमि विवाद में जानें अब तक कब-क्या हुआ

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर सुनवाई शुरू होने जा रही है। इस बीच हिंदू और मुसलमानों की ओर से मिल बैठकर विवाद सुलझाने की पहल हुई।

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 05 Dec 2017 11:22 AM (IST)Updated: Tue, 05 Dec 2017 01:33 PM (IST)
इतिहास-अदालत के झरोखों से राम जन्म भूमि विवाद में जानें अब तक कब-क्या हुआ
इतिहास-अदालत के झरोखों से राम जन्म भूमि विवाद में जानें अब तक कब-क्या हुआ

नई दिल्ली (जेएनएन)। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने जा रही है। इस बीच हिंदू और मुसलमानों की ओर से मिल बैठकर विवाद सुलझाने की पहल हुई। आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने दोनों पक्षों को बिठाकर रास्ता निकालने की पहल की। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पहल को देर से उठाया गया कदम बताया। सरकार और संगठन समेत तमाम लोगों ने अदालती प्रक्रिया पर ही भरोसा जताया। लंबे समय से चल रहे इस विवाद पर एक नजर-

loksabha election banner

1528: अयोध्या में मस्जिद का निर्माण हुआ। कहा जाता है कि मुगल सम्राट बाबर ने यह मस्जिद बनवाई थी। इस कारण इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। हिंदू उस स्थल को अपने आराध्य भगवान राम का जन्मस्थान मानते हैं और वहां राम मंदिर बनाना चाहते हैं।

1853: पहली बार इस स्थल के पास सांप्रदायिक दंगे हुए।

1859: ब्रितानी शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दे दी।

1949: भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। कथित रूप से कळ्छ हिंदुओं ने ये मूर्तियां वहां रखवाई थीं। मुसलमानों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और दोनों पक्षों ने अदालत में मुकदमा दायर कर दिया। सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित करके ताला लगा दिया।

1984: कुछ हिंदुओं ने विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक समिति का गठन किया। बाद में इस अभियान का नेतृत्व भाजपा के प्रमुख नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संभाल लिया।

1986: फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाजे पर लगा ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया।

1989: विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर निर्माण के लिए अभियान तेज किया और विवादित स्थल के नजदीक राम मंदिर की नींव रखी।

1990: विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को कळ्छ नुकसान पहुंचाया। तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने वार्ता के जरिए विवाद सुलझाने के प्रयास किए मगर अगले वर्ष वार्ताएं विफल हो गईं।

1992: विश्व हिंदू परिषद, शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने 6 दिसंबर को विवादित ढांचे को
ध्वस्त कर दिया। इसके परिणामस्वरूप देश भर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे जिसमें 2000 से ज्यादा लोग मारे गए।

2002 जनवरी : अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया। वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुसलमान नेताओं के साथ बातचीत के लिए नियुक्त किया गया।

फरवरी : विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। सैंकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठे हुए। अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे, उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए।

13 मार्च : सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी।

15 मार्च : विश्व हिंदू परिषद और केंद्र सरकार के बीच इस बात को लेकर समझौता हुआ कि विहिप के नेता सरकार को मंदिर परिसर से बाहर शिलाएं सौंपेंगे।

22 जून : विश्व हिंदू परिषद ने मंदिर निर्माण के लिए विवादित भूमि के हस्तांतरण की मांग उठाई।

2003 जनवरी : रेडियो तरंगों के जरिए ये पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर के नीचे किसी प्राचीन इमारत के अवशेष दबे हैं। कोई पक्का निष्कर्ष नहीं निकला।

अप्रैल : इलाहाबाद हाइकोर्ट के निर्देश पर पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की खुदाई में मंदिर के अवशेष मिले हैं।

मई : सीबीआइ ने 1992 में अयोध्या में ढांचा गिराए जाने के मामले में उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किए।

जून : कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की।

2005 जनवरी : लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को ढांचा विध्वंस में उनकी कथित भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया।

28 जुलाई : लालकृष्ण आडवाणी पर रायबरेली की एक अदालत ने आरोप तय किए।

2006-20 अप्रैल : कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने लिब्रहान आयोग के समक्ष लिखित बयान में आरोप लगाया कि ढ़ांचे को ढहाया जाना सुनियोजित षडयंत्र का हिस्सा था और इसमें भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बजरंग दल और शिवसेना की मिलीभगत थी।

जुलाई : विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया।

2009-30 जून : ढांचा ध्वंस मामले की जांच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी।

सात जुलाई : उत्तर प्रदेश सरकार ने एक हलफनामे में स्वीकार किया कि अयोध्या विवाद से जुड़ी 23 महत्वपूर्ण फाइलें सचिवालय से गायब हो गई हैं।

24 नवंबर : लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश। आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया और नरसिंह राव को क्लीन चिट दी।

2010-26 जुलाई : राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई पूरी।

8 सितंबर : अदालत ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की।

24 सितम्बर : हाईकोर्ट लखनऊ के तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाया जिसमें मंदिर बनाने के लिए हिंदुओं को जमीन देने के साथ ही विवादित स्थल का एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए दिए जाने की बात कही गयी। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर स्थगनादेश दे दिया।

2017-21 मार्च : सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि अगर दोनों पक्ष राजी हों तो वह कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं।

यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट बताएगा अयोध्या का मालिक कौन, अाज से होगी नियमित सुनवाई


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.