Move to Jagran APP

हिंदू-मुस्लिम एकता की नई मिसाल, कल्किनगरी में पूजा के साथ अजान भी

गंगा-जमुनी तहजीब की बुलंद इमारत पेशकर रहा सौंधन किला, किले में जाने को नमाजियों और भक्तों का रास्ता भी एक...

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 13 Dec 2017 09:18 AM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2017 11:43 AM (IST)
हिंदू-मुस्लिम एकता की नई मिसाल, कल्किनगरी में पूजा के साथ अजान भी
हिंदू-मुस्लिम एकता की नई मिसाल, कल्किनगरी में पूजा के साथ अजान भी

सम्भल (सचिन चौधरी)। देश में जहां कई जगहों पर छोटी-छोटी बातों को लेकर दोनों संप्रदायों के बीच जहर घोलने की कोशिश की जाती है, वहीं इससे इतर उप्र के संभल जिले के सौंधन क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द का ककहरा भी पढ़ाया जाता है। नगर से मात्र साढ़े सात किलोमीटर दूरी पर स्थित सौंधन किला गंगा-जमुनी तहजीब की बुलंद इमारत पेश करता है। किला परिसर में बने मंदिर और मस्जिद हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल हैं। यहां पूजा और अजान साथ-साथ होती है। यहां तक की नमाजी और श्रद्धालुओं का रास्ता भी एक है। शाहजहां के शासनकाल में सम्भल के गवर्नर रहे रुस्तम खां दक्कनी के स्थापत्य कला प्रेम की कहानी कहता यह किला एकता का गवाह भी है। इतिहासकार एम उस्मान बताते हैं कि 1645 ई. में सम्भल में शाहजहां की सेना आती थी, लेकिन उसके रुकने के लिए कोई स्थान नहीं था।

loksabha election banner

शाहजहां की सेना के सिपहसलार रुस्तम खां एक अच्छे वास्तुकार भी थे। सेना को सम्भल में रुकने में हो रही दिक्कत को देखते हुए रुस्तम खां ने सौंधन के किले का निर्माण कराया। उसी समय यहां मस्जिद का भी निर्माण कराया गया था। किले का इस्तेमाल सेना के रुकने के लिए किया जाने लगा। करीब दो सौ साल पहले सौंधन के ग्रामीणों ने किले में एक मंदिर भी बना दिया। जो मस्जिद से चंद कदम की दूरी पर है। तब से मस्जिद में शांतिपूर्वक नमाज अदा की जाती है। मंदिर और मस्जिद के लिए रास्ता भी एक ही है। आज तक दोनों समुदायों के बीच कभी किसी बात को लेकर कहासुनी तक नहीं हुई। सांप्रदायिक सौहार्द की इस अभूतपूर्व इमारत का आज अस्तित्व मिटने के कगार पर है। किला जर्जर अवस्था में पहुंच गया है। उस्मान ने अपनी पुस्तक सम्भल सरकार में मस्जिद का जिक्र किया है।

एक दूसरे को देते हैं बधाई : पुजारी चंद्रदेव बताते हैं, यहां ज्यादातर हिंदू हैं। ईद पर मुस्लिम समुदाय के लोग जब नमाज पढ़ते हैं तो बाहर रास्ते पर खड़े होकर हिंदू समुदाय के लोग नमाजियों का इंतजार करते हैं। उनके आने पर उन्हें गले लगाकर ईद की बधाई देते हैं। मौलाना हाफिज अब्दुल उर्रहमान ने बताया कि ऐसे ही हिंदुओं के त्योहार पर मुस्लिम बधाई देते हैं।

यह भी पढ़ें : एंटीबायोटिक का बेहतर विकल्प साबित हुआ चरक का नुस्खा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.