पटना (दीनानाथ साहनी)। वैश्वीकरण और भूमंडलीकरण के प्रभावी युग में हिंदी भी रोजगार एवं बाजार से जुड़ेगी। केन्द्र सरकार की पहल पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने हिंदी भाषा और साहित्य के उन्नयन हेतु पंचवर्षीय योजना लागू की है और इसके लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा है। यह पत्र शिक्षा विभाग को प्राप्त हुआ है। पत्र में कहा गया है कि हिंदी भाषा और साहित्य को रोजगारोन्मुखी बनाया जाए। भाषा व साहित्य पर रचनात्मक शोध कार्य को बढ़ावा दें, क्योंकि बाजारवाद के दौर में हिन्दी भाषा और साहित्य का संरक्षण और संवर्धन बहुत बड़ी चुनौती है। यूजीसी से अनुदान प्राप्त विश्वविद्यालयों में हिन्दी विभाग की स्थापना को अनिवार्य किया गया है। जिन विश्वविद्यालयों में पहले से हिंदी विभाग संचालित है, उनमें ढांचागत व्यवस्था को और बेहतर बनाने पर जोर दिया है। विश्वविद्यालयों में यूजीसी ने अन्य विभागों की तरह हिंदी विभाग में शैक्षणिक पदों में एकरूपता को प्राथमिकता दी है। लैंग्वेज लैब, कम्प्यूटर लैब, इंटरनेट एवं वाई-फाई की सुविधा को अनिवार्य किया है।


सभी विवि लागू करें उच्च शिक्षा :

निदेशक डॉ.एसएम करीम का कहना है कि हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास तथा संवर्धन संबंधी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की योजना को सभी विश्वविद्यालयों में लागू करने का निर्देश दिया गया है। हिंदी विषय के शिक्षकों की कमी जल्द दूर होगी, इसके लिए बिहार लोक सेवा आयोग से शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हिंदी विभागों में ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराने हेतु विश्वविद्यालयों में भवन निर्माण के लिए राशि भी मुहैया कराई जा रही है।’
सभी विवि लागू करें उच्च शिक्षा निदेशक डॉ.एसएम करीम का कहना है कि हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास तथा संवर्धन संबंधी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की योजना को सभी विश्वविद्यालयों में लागू करने का निर्देश दिया गया है। हिंदी विषय के शिक्षकों की कमी जल्द दूर होगी, इसके लिए बिहार लोक सेवा आयोग से शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हिंदी विभागों में ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराने हेतु विश्वविद्यालयों में भवन निर्माण के लिए राशि भी मुहैया कराई जा रही है।’

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Edited By: vivek pandey