Move to Jagran APP

बिना बांध बनाए अब पानी से बनेगी बिजली, ऊर्जा की होगी भरपूर उपलब्धता, जानें-इस तकनीक के बारे में

ऊर्जा क्षेत्र की कंपनी रीएनर्जाइज (RheEnergise) के इंजीनियरों ने ज्यादा घनत्व वाले एक तरल पदार्थ का अविष्कार किया है। यह तरल पदार्थ पानी से ढाई गुना गाढ़ा है। यानी यह जब पहाड़ियों से गिरेगा तो पानी की तुलना में ढाई गुना ज्यादा बिजली का उत्पादन करेगा।

By Vineet SharanEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 08:28 AM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 08:29 AM (IST)
बिना बांध बनाए अब पानी से बनेगी बिजली, ऊर्जा की होगी भरपूर उपलब्धता, जानें-इस तकनीक के बारे में
जिस तरह बिजली की मांग बढ़ रही है, उस हिसाब से स्टोरेज क्षमता को 100 गुना बढ़ाने की जरूरत है।

नई दिल्ली, जेएनएन। इंजीनियरों ने एक नई तकनीक का विकास किया है, जिससे पहाड़ियों का इस्तेमाल बैटरी की तरह किया जा सकेगा और इससे बिजली पैदा होगी। जब भी जरूरत होगी, इस बिजली को बनाया और स्टोर किया जा सकेगा। इस तकनीक के जरिए 200 मीटर ऊंची छोटी पहाड़ियों से बिजली का निर्माण संभव होगा। जबकि अभी जल विद्युत निर्माण के लिए ऊंचे पहाड़ों के साथ वहां बांध बनाने की जरूरत पड़ती है। जबकि अधिकांश देशों में पहाड़ों की संख्या कम और पहाड़ियों की संख्या अधिक होती है।

loksabha election banner

ज्यादा घनत्व वाले तरल की खोज

ऊर्जा क्षेत्र की कंपनी रीएनर्जाइज (RheEnergise) के इंजीनियरों ने ज्यादा घनत्व वाले एक तरल पदार्थ का अविष्कार किया है। यह तरल पदार्थ पानी से ढाई गुना गाढ़ा है। यानी यह जब पहाड़ियों से गिरेगा, तो पानी की तुलना में ढाई गुना ज्यादा बिजली का उत्पादन करेगा।

बिजली का स्टोरेज 100 गुना बढ़ाना होगा

एक अनुमान के मुताबिक, जिस तरह बिजली की मांग बढ़ रही है, उस हिसाब से बिजली स्टोरेज की क्षमता को 100 गुना बढ़ाने की जरूरत है। इस स्थिति में यह नई तकनीक कारगर होगी, क्योंकि इसमें बिजली का स्टोरेज बेहतर तरीके से संभव है। रीएनर्जाइज के मुताबिक, पहाड़ियां पावर के गुप्त स्रोत हैं, अब इन्हें खोलने की जरूरत है। शोधकर्ताओं की मानें तो ब्रिटेन, अफ्रीका और यूरोप में ऐसी हजारों पहाड़ियां हैं, जहां से इस तकनीक से बिजली उत्पादन संभव होगा।

कंपनी का कहना है कि परंपरागत हाइड्रो एनर्जी स्टोरेज की तुलना में इस ज्यादा घनत्व वाले स्टोरेज सिस्टम को छोटी पहाड़ियों से चलाया जा सकेगा। जबकि परंपरागत सिस्टम ऊंचे पहाड़ों से ही चल पाता है। इस तरह ऐसी ज्यादा जगहें मौजूद होंगी, जो इस तरह के हाइड्रो पावर सिस्टम के अनुकूल होंगी। यह सिस्टम ज्यादा सस्टेनेबल यानी टिकाऊ भी है। अफ्रीका में करीब 160000, यूरोप में 80000 और यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) में 95000 ऐसी पहाड़ियां हैं, जहां यह हाइड्रो पावर सिस्टम लगाया जा सकता है।

कैसे काम करेगी यह तकनीक

ज्यादा घनत्व वाला तरल एक अंडरग्राउंड स्टोरेज टैंक में स्टोर रहेगा। जब बिजली की मांग कम होगी तो ज्यादा घनत्व वाले इस तरल को पहाड़ी पर पंप कर दिया जाएगा। इस तरह यह ऊपर पहुंच जाएगा। जब ज्यादा बिजली की जरूरत होगी तो इस तरह को पहाड़ी के ऊपर से नीचे जेनरेटिंग टरबाइन पर गिराया जाएगा। इस तरह बिजली का उत्पादन बढ़ जाएगा। वहीं पानी को ऊपर उठाने के लिए उपयोग की जाने वाली ऊर्जा ग्रिड में वापस आ जाती है।

यह पंप हाइड्रो सिस्टम ऊर्जा के स्टोरेज का पुराना तरीका है। परंपरागत रूप से इसके लिए बांध और जलाशयों का इस्तेमाल किया जाता है और पानी को स्टोर व रिलीज किया जाता है।

वर्तमान में दुनिया के ऊर्जा भंडारण क्षमता का लगभग 96% तक पनबिजली के हिस्से है। लेकिन जैसा कि वैश्विक ऊर्जा की मांग बढ़ रही है, इसलिए अधिक भंडारण परियोजनाओं की आवश्यकता है। और अब ये सभी आकार में संभव हो रहा है, जैसे, एक स्विस-आधारित परियोजना ऊर्जा को संग्रहित करने के लिए कंक्रीट ब्लॉकों का उपयोग कर रही है। रीएनर्जाइज का कहना है कि उसका लक्ष्य 2024 में अपना पहला वाणिज्यिक सिस्टम संचालित करने का है। अगले दशक में 100 और ऑपरेटिंग सिस्टम संचालित होंगे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.