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दिल्ली से आगरा सिर्फ 99 मिनट में

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से ताजनगरी आगरा के बीच सेमी हाई स्पीड ट्रेन का ट्रॉयल पूरी तरह सफल रहने के साथ भारतीय रेल के इतिहास में गुरुवार को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार का नया कीर्तिमान दर्ज हो गया। ट्रॉयल रन के दौरान 10 कोच वाली इस ट्रेन ने दिल्ली से आगरा के बीच की 17

By Edited By: Published: Thu, 03 Jul 2014 06:03 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jul 2014 02:01 AM (IST)
दिल्ली से आगरा सिर्फ 99 मिनट में

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से ताजनगरी आगरा के बीच सेमी हाई स्पीड ट्रेन का ट्रॉयल पूरी तरह सफल रहने के साथ भारतीय रेल के इतिहास में गुरुवार को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार का नया कीर्तिमान दर्ज हो गया। ट्रॉयल रन के दौरान 10 कोच वाली इस ट्रेन ने दिल्ली से आगरा के बीच की 178 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 99 मिनट में तय की। उम्मीद है कि नवंबर से यह ट्रेन सेवा यात्रियों के लिए शुरू कर दी जाएगी। इस रेलखंड पर अभी तक भोपाल शताब्दी सबसे ज्यादा 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। दिल्ली से आगरा पहुंचाने में इसे 120 मिनट का समय लगता है।

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उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव अभियान के दौरान बुलेट और अन्य तेज गति की ट्रेनें चलाने का वादा कर चुके हैं। उनकी सरकार की प्राथमिकता में भी यह है। इसी दिशा में सेमी हाई स्पीड ट्रेन का ट्रॉयल किया गया। आगामी बजट में इस ट्रेन को चलाने की घोषणा हो सकती है। ट्रेन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 6 से सुबह 11.15 बजे रवाना हुई और दोपहर 12.54 बजे आगरा पहुंच गई। वापसी में आगरा से दोपहर 2.57 बजे रवाना होकर 4.40 बजे [103 मिनट में] नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंची। इस ट्रॉयल रन के साथ ही दिल्ली-चंडीगढ़ और दिल्ली-कानपुर के बीच भी सेमी हाई स्पीड चलाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। रेलवे अधिकारियों का दावा है कि ट्रॉयल पूरी तरह से सफल रहा है। ट्रेन को 160 किमी की रफ्तार पाने में सिर्फ दस मिनट का समय लगा। इस दौरान कमिश्नर रेलवे सेफ्टी पीके वाजपेयी, दिल्ली के मंडल रेल प्रबंधक अनुराग सचान सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। आगरा कैंट स्टेशन पर ट्रेन को देखने और सवार होने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। सुरक्षा कारणों से किसी को ट्रेन के भीतर प्रवेश नहीं करने दिया गया।

अनुराग सचान ने बताया कि ट्रॉयल के दौरान सभी टेक्निकल पैरामीटर्स रिकार्ड किए गए हैं। इस ट्रेन में शताब्दी की तरह सुविधाएं हैं, लेकिन यह उससे तेज गति से चलेगी। इस रेलखंड पर 16 घुमाव व रफ्तार कम करने वाले क्षेत्र थे। इनमें सुधार किया गया है जिससे ट्रेन की रफ्तार बढ़ाई जा सके। ट्रैक में जरूरी सुधार पर लगभग 15 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। ट्रेन के परिचालन में कोई दिक्कत न आए, इसके लिए 27 किमी रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ बाड़ लगेगी। ट्रॉयल रन में गाजियाबाद लोको शेड का इंजन लगाया गया जिसकी क्षमता 5400 हार्सपॉवर है। यह इंजन ट्रेन को 200 किमी प्रति घंटा तक की रफ्तार से दौड़ाने की क्षमता रखता है। फिलहाल इसका प्रयोग भोपाल शताब्दी में किया जा रहा है। ट्रॉयल रन में किसी तरह की बाधा नहीं आए इसके लिए रेलखंड पर जगह-जगह आरपीएफ जवानों की तैनाती की गई थी।

ट्रेन का ट्रायल तो नई दिल्ली से हुआ है, लेकिन इसका परिचालन हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से किया जाएगा। यहां से ट्रेन चलेगी तो सिर्फ 90 मिनट में आगरा पहुंच जाएगी। नई दिल्ली से तुगलकाबाद स्टेशन के बीच 45 किमी प्रति घंटा तथा मुक्तेश्वर से मथुरा के बीच 50 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार रखने की वजह से नौ मिनट अतिरिक्त समय लगा। गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी जापान में चलने वाली तेज रफ्तार बुलेट ट्रेन शिनकानसेन की प्रशंसा कर चुके हैं। इसकी रफ्तार 320 किमी प्रतिघंटा है। इसी तर्ज पर वह भारत में भी ट्रेन सेवा शुरू करना चाहते थे। चीन, जापान और यूरोप के देशों में जितनी भी बुलेट ट्रेनें चलती हैं उनकी रफ्तार 300 किमी प्रति घंटे से ऊपर ही है।

50 की उम्र के अनुभवी हाथों को मौका

नई दिल्ली से आगरा कैंट तक लोको पायलट आरके चतुर्वेदी, आरके पचौरी और वीरेंद्र कुमार ट्रेन लेकर आए। ट्रेन चलाने का मौका 12 वर्ष से अधिक का शताब्दी को चलाने का अनुभव होने पर आरके चतुर्वेदी को मिला। वहीं, आगरा निवासी करीब 50 वर्षीय आरके पचौरी और झांसी के 51 वर्षीय वीरेंद्र कुमार भी उनके साथ रहे। गार्ड एमएस परमार को भी शताब्दी का अनुभव होने पर ट्रेन संचालक टीम में शामिल किया गया।

ट्रेन का कोच

-78 सीट (एक तरफ तीन और दूसरी तरफ दो सीट)

-हर सीट के ऊपर लाइट और आगे की सीट से पैर लंबे करके बैठने के लिए अंतर

-अत्याधुनिक टॉयलेट

-खाना गरम रखने के लिए केबिन

-ट्रेन में 10 एसी चेयर कार

-एलएचबी कपूरथला द्वारा तैयार किए गए हैं कोच

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