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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल में अब उच्च शिक्षण संस्थानों को आना होगा आगे, गठित किया जाएगा एक एनईपी सेल

आधिकारिक सूत्रों की मानें तो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तय समयसीमा में लागू कराने की जवाबदेही अब सिर्फ सरकार की ही नहीं वरन उच्च शिक्षण संस्थान की भी होगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसे लेकर एक अहम कदम उठाया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 08:56 PM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 08:56 PM (IST)
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल में अब उच्च शिक्षण संस्थानों को आना होगा आगे, गठित किया जाएगा एक एनईपी सेल
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को तय समयसीमा में लागू कराने की जवाबदेही अब सिर्फ सरकार की ही नहीं होगी...

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को तय समयसीमा में लागू कराने की जवाबदेही अब सिर्फ सरकार की ही नहीं होगी, बल्कि उच्च शिक्षण संस्थान की भी होगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसे लेकर एक अहम कदम उठाया है। इसके तहत देश भर के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को अब अपने यहां एक एनईपी सेल गठित करना होगा जो नीति के अमल से जुड़े पहलुओं पर मुस्तैदी से काम करेगा, योजना बनाएगा और साथ ही यूजीसी को इसकी जानकारी भी देगा।

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यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब उच्च शिक्षण संस्थानों के पास इसे लागू करने के लिए कोई तंत्र नहीं है। साथ ही इसके लिए कोई समर्पित टीम भी नहीं थी, जो इसके प्रविधानों को प्रमुखता से लागू कराने की दिशा में पहल कर सकें। यही वजह है कि यूजीसी ने अब सभी संस्थानों को इसके लिए एनईपी सेल गठित करने की सिफारिश की है। इस टीम का काम होगा कि वह नीति के अमल को लेकर उठाए गए कदमों को संस्थान में तय समयसीमा में लागू करने की योजना बनाए। साथ ही उसे लागू भी कराए।

इस दौरान नीति के अमल में किसी स्तर पर कोई दिक्कत सामने आ रही है तो यह टीम सीधे यूजीसी से संपर्क कर सकती है। साथ ही इसका तुरंत समाधान भी निकाल सकती है। यूजीसी ने इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों में गठित होने वाले इन सेल को उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार सहित दूसरे अहम कदमों का भी जिम्मा सौंपा है। जिसमें शिक्षकों को प्रशिक्षण देने, कौशल विकास को गति देने, मानव मूल्यों को मजबूती देने के लिए मुहिम चलाना आदि शामिल हैं।

फिलहाल उच्च शिक्षण संस्थानों में नीति के अमल को लेकर जो अहम कदम उठाए गए हैं उनमें एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट स्कीम को लागू करना, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पढ़ाई छोड़ने और शुरू करने के लिए ढेरों विकल्प मुहैया कराने, ओपन लर्निग से जुड़े कोर्स को शुरू करने, विदेशी छात्रों की मदद के लिए कार्यालय स्थापित करना आदि शामिल हैं। 


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