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एयर इंडिया की ड्राफ्ट रिपोर्ट पर संसदीय समिति की बैठक में हंगामा

माकपा के महासचिव डी राजा ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि एयर इंडिया के विनिवेश के बारे में कोई फैसला लेने से पहले रायशुमारी की जानी चाहिए।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 15 Jan 2018 10:02 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jan 2018 10:02 PM (IST)
एयर इंडिया की ड्राफ्ट रिपोर्ट पर संसदीय समिति की बैठक में हंगामा
एयर इंडिया की ड्राफ्ट रिपोर्ट पर संसदीय समिति की बैठक में हंगामा

नई दिल्ली, पीटीआइ। एयर इंडिया के विनिवेश को लेकर संसदीय समिति की ड्राफ्ट रिपोर्ट पर जमकर हंगामा मचा। हालांकि बाद में बहुमत से यह फैसला लिया गया कि ड्राफ्ट रिपोर्ट को वापस लिया जाए। संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि एयर इंडिया को पांच साल के लिए मौका दिया जाए, जिससे कंपनी आर्थिक स्थिति को संभाल सके।

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परिवहन, पर्यटन व संस्कृति से जुड़ी समिति में कुल 31 सदस्य हैं। तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन इसके चेयरमैन हैं, लेकिन बैठक में वह शामिल नहीं थे। उनकी जगह पर भाजपा सांसद राकेश सिंह ने बैठक की अध्यक्षता की थी। 16 सदस्यों ने ड्राफ्ट के विरोध में मतदान किया। खास बात है कि ये सभी भाजपा के सांसद हैं। कांग्रेस की कुमाली सैलजा, तृणमूल की अर्पिता घोष व माकपा की रितब्रता बनर्जी ने बैठक का बहिष्कार किया।

डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि भाजपा सरकार संसद व संसदीय संस्थानों को बर्बाद करती जा रही है। इनको काउंसलिंग की जरूरत है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल का कहना था कि कार्यकारी अध्यक्ष को कोई फैसला लेने का अधिकार नहीं है। सोमवार की बैठक बुद्धिस्त पर्यटन पर विचार के लिए बुलाई गई थी। इसमें एयर इंडिया पर केवल चर्चा भर की जानी थी। उधर, बैठक की अध्यक्षता करने वाले राकेश सिंह का कहना है कि सारी कार्यवाही नियमों के आधार पर की गई। बहुमत से सांसदों का मत था कि एयर इंडिया में विनिवेश का यह सही समय है, लिहाजा ड्राफ्ट रिपोर्ट वापस की गई।

राजा ने पीएम से कहा, एयर इंडिया का विनिवेश रोक लें
माकपा के महासचिव डी राजा ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि एयर इंडिया के विनिवेश के बारे में कोई फैसला लेने से पहले रायशुमारी की जानी चाहिए। उनका कहना है कि इस फैसले के दीर्घकालीन परिणाम नकारात्मक होंगे। सरकार पहले अच्छी तरह से सोच विचार कर ले और फिर इस बारे में फैसला ले। उनका कहना है कि आर्थिक नीतियों में क्रांतिकारी बदलाव कभी भी लाभकारी साबित नहीं हो सके हैं, लिहाजा एयर इंडिया के मामले में पुनर्विचार करना होगा। उनका कहना है कि एयर इंडिया ने हाल ही में इंटरनेशनल रूट पर अपनी उड़ानों की संख्या बढ़ाई है। घरेलू स्तर पर भी कंपनी ने काफी सुधार किया है।

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