समाज कल्याण विभाग में 1000 करोड़ के घोटाले की सीबीआइ जांच पर हाई कोर्ट का फैसला सुरक्षित
आरटीआइ के माध्यम से जानकारी मिली कि दिव्यांगों के नाम पर 1000 करोड का घोटाला किया गया है।
बिलासपुर, राज्य ब्यूरो। राज्य नि:शक्तजन स्रोत संस्थान में 1000 करोड़ के घोटाले की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अगली सुनवाई तक फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ने हाई कोर्ट में एक अन्य याचिका दायर कर महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा पर आरोप लगाया है कि 1000 करोड़ से अधिक रुपये की गड़बड़ी करने वाले अफसरों को बचाने की कोशिश की गई।
छत्तीसगढ़ समाज कल्याण विभाग में घोटाला: हाई कोर्ट ने सीबीआइ को जांच करने के दिए थे निर्देश
याचिकाकर्ता अपने वकील देवर्षि ठाकुर के जरिए महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा की शिकायत स्टेट बार कौंसिल से करने के अलावा एक अलग याचिका दायर पर हाई कोर्ट ने सीबीआइ को जांच करने के निर्देश दिए थे। सीबीआइ जबलपुर मुख्यालय ने अज्ञात के खिलाफ जुर्म दर्ज कर जांच भी शुरू कर दी थी। इस बीच छत्तीसगढ़ के पूर्व चीफ जस्टिस विवेक ढांड ने सुप्रीम कोर्ट से सीबीआइ जांच पर रोक के आदेश प्राप्त कर लिए।
दिव्यांगों को लाभ पहुंचाने के नाम पर पर्दे के पीछे का खेल
वर्ष 2014 में राज्य नि:शक्तजन स्रोत संस्थान के नाम पर एनजीओ का गठन हुआ। आरोप है कि तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड समेत आधा दर्जन आइएएस अफसर दिव्यांगों को लाभ पहुंचाने के नाम पर पर्दे के पीछे एनजीओ का संचालन कर रहे। प्रदेशभर में समाज कल्याण विभाग का एक समानांतर दफ्तर चलाया जा रहा था। सरकारी कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति की गई। साथ ही कागजों में लाखों रुपये हर माह वेतन भुगतान हो रहा था।
समाज कल्याण विभाग में दिव्यांगों के नाम पर 1000 करोड का घोटाला
संविदा कर्मचारी कुंदन सिंह ने नियमितीकरण के लिए जब समाज कल्याण विभाग में आवेदन लगाया तो पता चला कि वह पांच साल से नियमित कर्मचारी के रूप में काम कर रहा है साथ ही उसका वेतन भी हर माह निकल रहा है। इसके बाद आरटीआइ के माध्यम से जानकारी मिली कि दिव्यांगों के नाम पर 1000 करोड का घोटाला किया गया है। पूर्व चीफ सेक्रेटरी ढांड की अपील पर फिलहाल सीबीआइ जांच पर रोक लगी हुई है।