राजस्थान में गुर्जर आरक्षण पर हाई कोर्ट की रोक
जयपुर [नरेंद्र शर्मा]। राजस्थान हाई कोर्ट ने गुर्जरों सहित पांच जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में पांच फीसदी आरक्षण देने के राज्य सरकार के फैसले पर 1
जयपुर [नरेंद्र शर्मा]। राजस्थान हाई कोर्ट ने गुर्जरों सहित पांच जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में पांच फीसदी आरक्षण देने के राज्य सरकार के फैसले पर 19 फरवरी तक रोक लगा दी है। कोर्ट की रोक के बाद राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर आरक्षण का मुद्दा गरमा गया है। हाई कोर्ट की जयपुर पीठ में न्यायाधीश नरेंद्र कुमार जैन और जेके रांका की खंडपीठ ने आरक्षण को चुनौती देने वाली मुकेश सोलंकी की याचिका पर मंगलवार को फैसला सुनाया। अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।
अदालत ने विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल पांच जातियों-गुर्जर, बंजारा, राइका, गड़रिया और गाडियालोहार जातियों की पक्षकार बनने की याचिका स्वीकार कर ली है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि विशेष पिछड़ा वर्ग को पांच फीसदी आरक्षण देने से कुल आरक्षण 68 फीसदी हो गया है। यह निर्धारित फीसदी से अधिक है, इसलिए असंवैधानिक है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राजस्थान सरकार से 68 फीसदी आरक्षण पर जवाब मांगा था। सोमवार को याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग खुद ही विकास अध्ययन संस्थान की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है।
आयोग ने इस आरक्षण के लिए 25 जातियों पर तो निर्णय किया ही नहीं है। इस आरक्षण के लिए कैप्टन गुरविंदर के मामले में हाई कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं किया गया है। इस आरक्षण पर रोक लगनी चाहिए। राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार की अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह और राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष सिंघवी ने कहा था कि इंद्रा साहनी प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट आदेश में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने पर रोक नहीं लगाई है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को यह याचिका दायर करने का अधिकार ही नहीं है।
आरक्षण आंदोलन में हुई थी 72 की मौत
राजस्थान में भाजपा सरकार के समय हिंसक गुर्जर आरक्षण आंदोलन में 72 लोगों की मौत हो गई थी। करीब तीन साल चले आंदोलनों के बाद नाराज गुर्जरों ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मतदान किया था। अशोक गहलोत सरकार के सत्ता में आते ही फिर आंदोलन शुरू हुआ तो सरकार ने ओबीसी आयोग गठित किया। आयोग की रिपोर्ट के बाद सरकार ने 30 नवंबर, 2012 को गुर्जर सहित पांच जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में पांच प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी।
फिर बन रही आंदोलन की रणनीति
कोर्ट के आदेश के बाद गुर्जर नेताओं ने मंगलवार को जयपुर में बैठक कर फिर से आंदोलन शुरू करने को लेकर चर्चा की। भाजपा नेता पूर्व मंत्री नाथूसिंह गुर्जर का कहना है कि सरकार की मंशा साफ हो गई। सरकार गुर्जरों को आरक्षण नहीं देना चाहती थी, इसलिए गलत तरीके से आरक्षण दिया गया, जिस पर कोर्ट ने रोक लगा दी।
गुर्जर आरक्षण समन्वय समिति के मानसिंह गुर्जर, जवाहर सिंह और मंजू गुर्जर का कहना है कि सरकार से गुर्जर आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में सूचीबद्ध कराने का आग्रह किया गया था, लेकिन राज्य सरकार ने गलत ढंग से आरक्षण दिया। कांग्रेस को आगामी चुनाव में इसका राजनीतिक जवाब दिया जाएगा। गुर्जरों के साथ सरकार की ओर से वार्ताकार रहे ऊर्जा मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार कोर्ट के निर्णय का अध्ययन करेगी। सरकार की मंशा गुर्जर सहित अन्य पांच जातियों को आरक्षण देने की है।
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