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हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, बेटे-बहू अलग रह रहे तो घरेलू हिंसा में माता-पिता पर केस नहीं

परिजनों के फंसाए जाने पर पति ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। हाई कोर्ट ने पति को छोड़ अन्य ससुरालीजन के खिलाफ केस रद कर दिया।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 12:02 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 12:02 AM (IST)
हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, बेटे-बहू अलग रह रहे तो घरेलू हिंसा में माता-पिता पर केस नहीं
हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, बेटे-बहू अलग रह रहे तो घरेलू हिंसा में माता-पिता पर केस नहीं

इंदौर, जेएनएन। अलग-अलग रह रहे बहू-बेटे के विवाद में साजिशन आरोपित बनाए जाने वाले माता-पिता के लिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने राहत भरा फैसला सुनाया है। दहेज प्रताड़ना के एक मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कहा कि यदि बहू-बेटे परिवार से अलग दूसरे स्थान पर रहे हैं तो उनके माता-पिता का घरेलू हिंसा से संबंध खत्म हो जाता है।

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इस टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने शिकायत करने वाली महिला के सास-ससुर, देवर और पति के बुजुर्ग दादा-दादी के खिलाफ दर्ज दहेज प्रताड़ना का केस रद कर दिया। साथ ही कहा कि ऐसे में पति को छोड़ अन्य के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज करना गलत है। निचली अदालत में भी पति को छोड़ अन्य परिजन के खिलाफ केस दर्ज कर गलत किया गया है।

अधिवक्ता राघवेंद्र कुमार रघुवंशी के अनुसार इंदौर निवासी रेखा की शादी ग्वालियर के कुलदीप सिंह से हुई थी। शादी के बाद कुलदीप और रेखा अन्य शहर में जाकर नौकरी करने लगे। कुछ समय बाद मनमुटाव होने पर रेखा पति को छोड़कर मायके में रहने लगी और उसने कुलदीप और उसके पिता महेंद्र प्रताप सिंह, मां मीरा सिंह, दादा-दादी और भाई के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाकर केस दर्ज करवा दिया।

सभी के खिलाफ निचली अदालत में प्रकरण चल रहा था। कुलदीप इस प्रकरण को हाई कोर्ट में लेकर गए। हाई कोर्ट ने घरेलू हिंसा नियम में लॉ प्वाइंट निर्धारित करते हुए फैसला दिया कि परिवार के साथ रहने पर ही घरेलू संबंध स्थापित होते हैं। परिवार से अलग होते ही घरेलू संबंध खत्म हो जाते हैं। हाई कोर्ट ने कुलदीप को छोड़ बाकी सभी परिजन के खिलाफ दर्ज केस को निरस्त कर दिया है।

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