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फरीदाबाद में दो दर्जन गांवों के मुआवजे पर हाईकोर्ट नये सिरे से ले फैसला

फरीदाबाद के दो दर्जन से ज्यादा गांवों की जमीन के मुआवजे पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट नये सिरे से फैसला लेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला वापस हाई कोर्ट को भेज दिया है।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 10:23 PM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 10:23 PM (IST)
फरीदाबाद में दो दर्जन गांवों के मुआवजे पर हाईकोर्ट नये सिरे से ले फैसला
फरीदाबाद में दो दर्जन गांवों के मुआवजे पर हाईकोर्ट नये सिरे से ले फैसला

माला दीक्षित, नई दिल्ली। तीन अलग-अलग अधिसूचनाओं में अधिगृहित की गई फरीदाबाद के दो दर्जन से ज्यादा गांवों की जमीन के मुआवजे पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट नये सिरे से फैसला लेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इन गांवों का मुआवजा तय करने का हाईकोर्ट का आदेश रद करते हुए मामला नये सिरे से तय करने के लिए वापस भेज दिया है। 28 गांवों की यह जमीन नहर पार फरीदाबाद के सेक्टर 75 से लेकर 89 के बीच आती है। हरियाणा सरकार ने 2006 और 2008 में तीन अधिसूचनाएं निकाल कर रिहायशी और व्यवसायिक योजना तथा मास्टर रोड के निर्माण के लिए अधिग्रहण किया था।

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न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने यह फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 189 अपीलें दाखिल हुई थीं, जिनमें सैकड़ों किसान याचिकाकर्ता थे। किसानों के वकील सोमवीर सिंह देशवाल व अन्य ने फैसले का विरोध करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जमीन के महत्व व उसकी बाजार कीमत के बारे में पेश किए गए दस्तावेजों पर ध्यान नहीं दिया। तीनों अधिसूचनाएं अलग समय और अलग-अलग जगह के बारे में हैं, लेकिन तीनों को एक साथ मिलाकर फैसला दे दिया है। किसानों ने कहा कि उनका मुआवजा बढ़ना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने मामला वापस भेजते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने सोहनलाल बनाम स्टेट आफ हरियाणा के बारे में 3 सितंबर, 2014 को दिए गए फैसले को ही मौजूदा अधिग्रहण में मुआवजा तय करने का आधार बनाया है। हाईकोर्ट ने जो तरीका अपनाया है उससे कुछ मामलों में तो रिफरेंस कोर्ट द्वारा तय मुआवजा भी घट गया है। ये आदेश बना रहने लायक नहीं है। हाईकोर्ट नये सिरे से प्रत्येक मामले की मेरिट को ध्यान में रखते हुए मुआवजा तय करे और ऐसा करते समय दोनों पक्षों की ओर से पेश किये गए साक्ष्यों पर भी गौर करे। पीठ ने कहा कि तीनों अधिसूचनाओं मिलाकर एक साथ सुनने से प्रत्येक मामले में जमीन की स्थिति से जुड़े महत्वपूर्ण पहलू नजरअंदाज हो गए हैं। मामलों को जल्दी निपटाने की कोर्ट की चिंता समझी जा सकती है, लेकिन इसके चलते मामले से जुड़ी सामग्री पर निष्पक्ष और समग्र रूप से विचार कर उसे स्वीकारने या नकारने के कारण दर्ज करने की जरूरत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वे आशा करते है कि पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट जमीन अधिग्रहण से जुड़े मामलों में इस सिद्धांत का ध्यान रखेगा।

इन गांवों की है जमीन

पहली अधिसूचना -1 मई, 2006 को फरीदाबाद के सेक्टर 75 और 80 में पड़ने वाले गांव बरोली, सीही, मुर्तेजापुर, पहलादपुर, भटोला के लिए जारी हुई।

दूसरी अधिसूचना - 7 फरवरी, 2008 को सेक्टर 76,77 और 88 में पड़ने वाले गांव भटोला, मुर्तजापुर, फज्जूपुर, नीमका, फरीदपुर और बरोली की जमीन के लिए थी। ये दोनों अधिग्रहण रिहायशी और व्यवसायिक योजनाओं के लिए थीं।

तीसरी अधिसूचना - 14 अगस्त, 2008 को जारी हुई जो कि मास्टर रोड के निर्माण के लिए थी। ये अधिसूचना सेक्टर 75 से लेकर 89 तक आने वाले गांवों मुर्तजापुर, नीमका, फैजपुर, भटोला, बरोली, पहलादपुर, बुढेना, खेरीर्खुद, फरीदपुर, खीरीकलां, बसेलवा, रिवाजपुर, बादशाहपुर, पलवली, वजीरपुर, मवई और भूपानी गांव की जमीनों के बारे में थी।

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