सूर्यग्रहण में भी खुले रहे महाकाल के पट, कहीं चांद की तरह नजर आया सूरज तो कहीं हार जैसा
प्रदेश में अन्य स्थानों पर ग्रहण के वक्त सूरज कहीं चांद की तरह नजर आया तो कहीं हार की तरह।
इंदौर, स्टेट ब्यूरो। आषाढ़ी अमावस्या पर रविवार को तीर्थ नगरी उज्जैन में सूर्य ग्रहण साढ़े तीन घंटे तक दिखाई दिया। दोपहर में एक समय ऐसा लगा जैसे शाम हो गई हो। ग्रहण काल में ज्योतिर्लिग महाकाल मंदिर को छोड़कर अन्य मंदिरों के पट बंद रहे। चूंकि महाकाल काल व मृत्यु से परे माने गए हैं, इसलिए यहां ग्रहण का कोई असर नहीं होता।
जीवाजी वेधशाला में दोपहर 12:28 बजे ऐसा क्षण आया जब परछाई ही नजर आना बंद हो गई
जीवाजी वेधशाला में दोपहर 12:28 बजे ऐसा क्षण आया जब परछाई ही नजर आना बंद हो गई। प्रदेश में अन्य स्थानों पर ग्रहण के वक्त सूरज कहीं चांद की तरह नजर आया तो कहीं हार की तरह।
पुजारी ने बताया- महाकाल मंदिर पर किसी भी प्रकार के ग्रह नक्षत्र का प्रभाव नहीं पड़ता
उज्जैन के पं.महेश पुजारी ने बताया महायोगी महाकाल पर किसी भी प्रकार के ग्रह नक्षत्र का प्रभाव नहीं पड़ता है, इसलिए महाकाल मंदिर की परंपरा अनुसार ग्रहण काल के समय भी गर्भगृह के पट खुले रहते हैं। इस दौरान पंडितों ने गर्भगृह में बैठ कर जप किए।
ग्रहण के मोक्ष के बाद मंदिर को धोकर शुद्घ किया जाता है, पूजा होती है
ग्रहण के मोक्ष (समाप्ति) के बाद मंदिर को धोकर शुद्घ किया जाता है। इसके बाद पूजन करते हैं। सुबह 10 बजे होने वाली भोग आरती ग्रहण पश्चात दोपहर में 2.30 बजे हुई।
जीवाजी वेधशाला में दिखा अनूठा नजारा
उज्जैन स्थित शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रसाद गुप्त ने बताया कि हर साल 21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लंबवत होती हैं। इससे कुछ देर के लिए परछाई गायब हो जाती है। इस खगोलीय घटना को 'जीरो शेडो' कहा जाता है। रविवार को भी दोपहर 12:28 बजे सूर्य की किरणें पृथ्वी पर लंबवत थीं। इससे वेधशाला में स्थापित शंकु यंत्र पर परछाई गायब होने का नजारा दिखाई दिया।