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Chhattisgarh: यहां पर्दे के पीछे से दुष्कर्म पीड़िता का बयान, सिर्फ महिला जज के कोर्ट में ही होती है सुनवाई

दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई के दौरान कोर्ट में गिनती के लोगों को ही प्रवेश दिया जाता है। बचाव पक्ष के वकील आरोपित और पीड़िता के अलावा परिवार के कुछ महत्वपूर्ण सदस्यों को ही कोर्ट की कार्रवाई के दौरान उपस्थित रहने की अनुमति मिलती है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 07:59 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 07:59 PM (IST)
Chhattisgarh: यहां पर्दे के पीछे से दुष्कर्म पीड़िता का बयान, सिर्फ महिला जज के कोर्ट में ही होती है सुनवाई
छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य जहां विशेष अदालत में की गई है व्यवस्था।

राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है जहां दुष्कर्म पीड़िता की बातें सुनने और आरोपितों को सजा दिलाने के लिए सभी जिलों में विशेष कोर्टो का गठन कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के निर्देश पर स्थापित इन अदालतों में सिर्फ महिला जज ही सुनवाई करती हैं। इस दौरान पीड़िता का चेहरा सार्वजनिक नहीं होने दिया जाता है। गवाही के समय उन्हें पर्दे में रखा जाता है। जांजगीर-चांपा जिले के पामगढ़ विकासखंड की निवासी संतराबाई ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दुष्कर्म पीड़िताओं की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की मांग की थी।

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याचिका में उल्लेख किया गया है कि पीड़िताओं के लिए बचाव पक्ष के वकीलों के अटपटे सवालों का जवाब देना तब कठिन हो जाता है जब कोर्ट में स्वजन उपस्थित हों। ऐसे सवालों के माध्यम से बचाव पक्ष के वकील दबाव बनाने की कोशिश करते हैं। पीड़िताएं सबके सामने आपबीती बताने में संकोच करती हैं। इसे देखते हुए याचिकाकर्ता ने पीड़िताओं का चेहरा छिपाने की मांग की थी।

याचिका में उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य शासन को विशेष अदालतों का गठन करने और पीड़िता के बयान के वक्त चेहरा सार्वजनिक न करने की हिदायत दी थी। हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्य शासन ने सभी जिलों में विशेष अदालत का गठन कर दिया है। इन कोर्टो में सिर्फ महिला जज दुष्कर्म ही प्रकरणों की सुनवाई करती हैं।

सुनवाई के दौरान बरती जा रही सतर्कता

दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई के दौरान कोर्ट में गिनती के लोगों को ही प्रवेश दिया जाता है। बचाव पक्ष के वकील, आरोपित और पीड़िता के अलावा परिवार के कुछ महत्वपूर्ण सदस्यों को ही कोर्ट की कार्रवाई के दौरान उपस्थित रहने की अनुमति मिलती है। याचिकाकर्ता की वकील मीना शास्त्री का कहना है कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लिया है। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जहां पीडि़त महिलाओं का पर्दे के पीछे से बयान दर्ज करने की व्यवस्था शुरू की गई है।


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