यहां शराबियों को रोकने के लिए स्कूल में लाठी लेकर पहरा देती हैं शिक्षिकाएं
जिला मुख्यालय पर ही एक ऐसा स्कूल है जहां कभी भी नशे में धुत शराबी घुस आते हैं। इन शराबियों को रोकने के लिए स्कूल की शिक्षिकाएं लाठी लेकर दरवाजे पर पहरा देती हैं।
श्योपुर [नईदुनिया]। स्कूल और मंदिरों के आस-पास शराब दुकानें खोलने पर प्रतिबंध है, लेकिन श्योपुर जिले में यह प्रतिबंध सिर्फ कागजों तक सीमित है। जिला मुख्यालय पर ही कई शराब ठेके स्कूल व मंदिरों के पास चल रहे हैं। गांव-कस्बों की हालत तो खराब है। जिला मुख्यालय पर ही एक ऐसा स्कूल है जहां कभी भी नशे में धुत शराबी घुस आते हैं। इन शराबियों को रोकने के लिए स्कूल की शिक्षिकाएं लाठी लेकर दरवाजे पर पहरा देती हैं।
श्योपुर के पाली रोड पर चंबल नहर के पास संचालित है सलापुरा प्राइमरी स्कूल। इस स्कूल में 102 बच्चे हैं जिन्हें दो शिक्षिकाएं पढ़ाती हैं। इन शिक्षिकाओं का ध्यान बच्चों को पढ़ाने से ज्यादा इस बात पर ज्यादा रहता है कि कहीं कोई शराबी स्कूल में न आ जाए। इसलिए जब एक शिक्षिका पढ़ाती है तो दूसरी लाठी लेकर स्कूल के मेन गेट पर पहरा देती है। जब बच्चे पढ़ाई करते हैं तब दोनों शिक्षिकाएं लाठी लेकर दरवाजे पर बैठ जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्कूल में कभी भी शराबी घुस आते हैं।
अधिकांश नशेड़ी शराब की बोतल लेकर आते हैं और स्कूल के कमरों में बैठकर शराब पीने लगते हैं। शराबियों से परेशान शिक्षिकाओं ने यह समस्या आला अफसरों को बताई लेकिन किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। ऐसे में शिक्षिकाएं अपने-अपने घर से लाठी व डंडे लेकर आईं और शराबियों को रोकने के लिए पहरा देना शुरू कर दिया। इस स्कूल में शराबियों के आतंक की गवाही स्कूल परिसर और उसके चारों ओर फैली शराब की फूटी बोतलें दे रही हैं।
दो शिक्षिकाएं स्कूल छोड़कर चली गईं
स्कूल में 102 छात्र-छात्राएं हैं जिन्हें पढ़ाने के लिए चार शिक्षिकाएं पदस्थ की गई थीं। इनमें से दो शिक्षिकाएं स्कूल को छोड़कर चली गई हैं। एक शिक्षिका तीन दिन का अवकाश लेकर गई जिन्होंने अब छह महीने से ज्यादा हो गए। यह शिक्षिका लौटकर नहीं आईं। एक अन्य शिक्षिका स्कूल की बदहाली से ऐसी परेशान थी कि अपना अटैचमेंट बायपास रोड स्थित छात्रावास में करा लिया है।
पास ही खुली शराब दुकान, हो गई आफत
दरअसल स्कूल के चंद कदम की दूरी पर आबकारी विभाग ने देसी शराब दुकान का लाइसेंस दे दिया है। यह शराब दुकान इसी साल से खुली है। जब से शराब दुकान खुली है तब से स्कूल परिसर शराबियों की पसंदीदा जगह बन गई है। शाम पांच बजे के बाद यहां शराबियों का अड्डा रहता है। सुबह से दोपहर तक जब स्कूल चलता है तब कई शराबी बोतल लेकर स्कूल में आने लगे। स्कूल के छात्र-छात्राओं ने बताया कि शराबियों के कारण स्कूल से बाहरपानी के लिए निकलने में भी डर लगता है। स्कूल के बाहर शराबी हंगामा करते हैं, आपस मेंं लड़ते हैं।
आंगनबाड़ी भवन बना अहाता
चंबल नहर के उस पार सलापुरा गावं में आंगनबाड़ी केन्द्र है। इस केन्द्र का उपयोग कुपोषित बच्चों से ज्यादा शराबियों ने किया है। सुबह से शाम तक आंगनबाड़ी भवन में गांजा व शराब पीने वालों का जमावड़ा रहता है। दिनभर यहां नशेड़ी जमा रहते हैं और जुआ खेलते हैं। खास बात यह है कि, आंगनबाड़ी केन्द्र की कार्यकर्ता ने इस समस्या से कई बार अफसरों को अवगत कराया लेकिन शराबियों को रोकने का कोई इंतजाम नहीं हुआ।
इनका कहना है
जब से पास में शराब की दुकान खुली है शराबियों ने स्कूल को अपना अड्डा बना लिया है। कभी भी शराबी स्कूल में आ धमकते हैं। हमने कई बार डायल 100 को फोन लगाया लेकिन, वह नहीं आई - सीमा चौरसिया, शिक्षिका
शराबी बोतल लेकर आते हैं, शराब पीकर स्कूल में ही सो जाते हैं। गंदगी फैलाते हैं। पहले स्कूल में चार शिक्षिकाएं थी जिनमें से दो चली गईं। अब दो शिक्षिका व एक रसोईया है। शराबियों से डर लगता है इसलिए उन्हें स्कूल में आने से रोकने के लिए डंडे रखे हैं - अंजू भदौरिया, शिक्षिका
अगर शराब दुकान स्कूल के पास ही है तो उसे दूसरे स्थान पर शिफ्ट करवाने के प्रयास करेंगे। तब तक स्कूल में सुरक्षा व्यवस्था और शराबियों को स्कूल में जाने से रोकने की व्यवस्था की जाएगी। पुलिसकर्मी नियमित निगरानी करेंगे - डॉ. शिवदयाल सिंह, पुलिस अीक्षक, श्योपुर