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शरीर के लिए खतरनाक है हीट स्‍ट्रोक, भारी पड़ सकती है लापरवाही, जानें लक्षण और बचाव

हीट स्ट्रोक को उष्माघात भी कहा जाता है। यह ऐसी अवस्‍था है जिसमें पीड़ित के शरीर का तापमान अत्यधिक धूप या गर्मी की वजह से बढ़ने लगता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 29 Mar 2019 11:38 AM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2019 12:00 PM (IST)
शरीर के लिए खतरनाक है हीट स्‍ट्रोक, भारी पड़ सकती है लापरवाही, जानें लक्षण और बचाव
शरीर के लिए खतरनाक है हीट स्‍ट्रोक, भारी पड़ सकती है लापरवाही, जानें लक्षण और बचाव

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। मौसम का पारा चढ़ने के साथ ही आने वाले दिनों में लोगों को गर्म हवा के थपेड़ों से भी दो-चार होना होगा। लगातार बढ़ते तापमान से हमें आने वाले समय में हीट स्ट्रोक का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आने वाले समय में धूम को लेकर या मौसम को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही न बरती जाए। खासकर बच्चों व बुजुर्गों को विशेष सतर्क रहने की जरूरत है। हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) को उष्माघात भी कहा जाता है। यह ऐसी अवस्‍था है जिसमें पीड़ित के शरीर का तापमान अत्यधिक धूप या गर्मी की वजह से बढ़ने लगता है।

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मनुष्य के शरीर की बनावट ऐसी होती है जिसमें अत्यधिक गर्मी या तापमान पसीने के रूप में बाहर निकलती रहती है जिससे शरीर का तापमान ज्यों का त्यों बना रहता है। परन्तु हीट स्ट्रोक की स्थिति में शरीर की प्राकृतिक कुलिंग सिस्टम सुचारू रूप से काम करना बंद कर देती है जिसकी वजह से शरीर का तापमान कम नहीं होने पाता जिसके परिणामस्वरूप शरीर का तापमान बढ़ता जाता है और अगर इस तापमान को बाहरी मदद देकर या घरेलू उपचार या डाक्टरी सहायता देकर कम नहीं किया गया तो बहुत हीं भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती है और मरीज की जान भी जा सकती है।

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मनुष्य के शरीर का तापमान सामान्य अवस्था में 98.6 डिग्री फरेन्हाईट होना चाहिए। जब मनुष्य का तापमान इसके ऊपर जाने लगता है तो उसे बुखार कहा जाता है। हीट स्ट्रोक होने पर मनुष्य के शरीर का तापमान बढ़ने लगता है, यह आसानी से कम नहीं होता। अगर किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान 100 डिग्री फॉरेनहाइट के ऊपर जाने लगे तो घरेलू उपचार से उसके तापमान को कम करना चाहिए लेकिन अगर उसका तापमान कम नहीं हो रहा हो और बढ़ता ही जा रहा हो तो उसे डॉक्टरी सहायता पहुंचानी चाहिए।

अगर मनुष्य का तापमान 102-103 फार्हेन्हाईट के ऊपर जाने लगे तो फिर खतरनाक स्थिति उत्पन्न होने लगती है। इस अवस्था के ऊपर तापमान जाने पर व्यक्ति अनर्गल बातें करने लगता है, उसके मष्तिष्क में गड़बड़ी उत्पन्न हो सकती है तथा उसके कई अंग ख़राब हो सकते हैं। हीट स्ट्रोक में अगर मरीज के तापमान को कम नहीं किया गया तो मरीज के शरीर का तापमान बढ़ता ही जाता है जिसके कारण मरीज को कुछ भी हो सकता है, यहां तक कि मौत भी।

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हीट स्ट्रोक के कारण

  • हीट स्ट्रोक तेज धूप या अत्यधिक गर्मी/तापमान के कारण होता है। लेकिन हीट स्ट्रोक के और भी कई कारण होते हैं।
  • निर्जलीकरण, थाइरोइड में असंतुलन पैदा होना, शरीर में रक्त शर्करा में कमी आना (ऐसा मधुमेह के मरीजों में होता है)
  • शराब के सेवन से, उच्च रक्तचाप या अवसाद आदि के उपचार में इस्तेमाल ली जाने वाली दवाओं की वजह से हीट स्ट्रोक होता है।

हीट स्ट्रोक हो के लक्षण

  • आपको तेज बुखार हो जाये।
  • आपका रक्त चाप अचानक से कम होने लगे।
  • गर्मी के दिनों में या तेज धूप में काम करने से यदि आपको चक्कर आने लगे, या उलटी- मितली जैसा लगे।

हीट स्ट्रोक से बचने के उपाय

  • तेज धूप में निकलने से बचें। अगर तेज धूप में निकलना जरुरी हो तो निकलते वक़्त छाता लगा लें या टोपी पहन लें। संभव हो तो आंखों पर धूप से बचने वाला चश्मा भी लगा लें।
  • बहुत से लोग पानी पीने की बजाये चाय- कॉफ़ी पीने लगते है जो कि सरासर गलत है। ठंढ के दिनों में जहाँ चाय-कॉफ़ी पीना लाभदायक होता है वही गर्मी के दिनों में इनका सेवन नुकसानदेह होता है। चाय-कॉफ़ी की बजाये आप फलों के रस पिया करें अथवा गन्ने का ज्यूस पिया करें। नारियल का पानी पीना भी गर्मी के दिनों में बहुत लाभ पहुंचता है और हीट स्ट्रोक से बचाता है।
  • कच्चे आम का रस मानव शरीर का तापमान कम करने में बहुत हीं प्रभावकारी माना जाता है। कच्चे आम का गुदा आपके शरीर में इलेक्ट्रोलाईट बहाल करने में बहुत हीं मददगार होता है।
  • इलेक्ट्रोलाईट नमक - पानी एवं कई खनिजो का मिश्रण होता है जो निर्जलीकरण की अवस्था में आपके शरीर में बहुत हीं कम हो जाता है। खनिजो एवं नमक पानी के कम होने से आप बहुत हीं कमजोर महसूस करने लगते हैं एवं आपके बदन, मांशपेशियों में दर्द एवं कमजोरी रहने लगती है।
  • बहुत ज्यादा पसीना निकलने की वजह से, कम पानी पीने की वजह से, बहुत ज्यादा मूत्र विसर्जन करने की वजह से या बार-बार मल त्यागने के लिए जाने की वजह से आपके शरीर इलेक्ट्रोलाईट की कमी हो जाती है। अगर इसकी जल्द भरपाई नहीं की जाये तो कुछ भी हो सकता है; व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
  • साधारण पानी में थोडा नमक एवं शक्कर (चीनी) डालकर नींबू निचोड़ लें एवं उस मिश्रण को मरीज को पिलाते रहें। ऐसा करने से मरीज निर्जलीकरण की अवस्था से बाहर आ जाता है और उसकी जान को खतरा नहीं होता। नींबू का पानी शरीर की गर्मी को भी बाहर निकालता है और ठंढक पहुँचाता है।
  • छाछ यानि की मट्ठा हीट स्ट्रोक में बहुत हीं प्रभावकारी होता है। दही लगभग हर घर में उपलब्ध होता है। अगर आपके घर में दही न भी हो तो किसी भी डेरी दूकान में आपको दही मिल जायेगा। आप उसका छाछ बना लें एवं उसमें थोडा नमक मिलाकर मरीज को पिलाते रहे। यह मरीज को बहुत हीं लाभ पहुंचता है एवं उसे ताकत भी देता। छाछ हीट स्ट्रोक के इलाज के लिए सबसे सफल प्राकृतिक घरेलू उपचारों में से एक है।

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