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    Kashmiri Pandit : कश्मीरी पंडितों के नरसंहार मामले पर SC ने याचिकाकर्ता से कहा, पहले केंद्र के पास जाएं

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 02 Sep 2022 02:44 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को लेकर दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस बीआर गवई और सीटी रविकुमार की पीठ से कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और अत्याचार की जांच के लिए एसआईटी के गठन की भी मांग की गई थी।

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    कश्मीरी पंडितों के नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी। (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की घटना के मामले पर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता एनजीओ वी द सिटिजन्स को केंद्र सरकार के समक्ष रिप्रेजेंटेशन देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ से कहा कि पहले आप सरकार के पास जाएं। वहां रिप्रेजेंटेशन दें, फिलहाल अपनी याचिका वापस लें। याचिका में तीन दशक पहले हुई घटना की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर जांच कराने, पुनर्वास और संपत्ति वापस दिलाने की मांग की गई थी।

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    जस्टिस बीआर गवई और सीटी रविकुमार की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। वी द सिटिजन्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कश्मीर में 1990 से 2003 तक कश्मीरी पंडितों और सिखों के नरसंहार और अत्याचार की जांच के लिए एसआईटी के गठन की मांग की थी। याचिका में कश्मीर में हुए हिंदुओं के उत्पीड़न और विस्थापितों के पुनर्वास की मांग भी की गई थी।

    NGO 'वी द सिटिजन्स' ने अधिवक्ता वरुण कुमार सिन्हा के माध्यम से याचिका दायर की गई थी। इसमें उन्होंने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार से 90 के दशक में केंद्र शासित प्रदेश में हुए नरसंहार के बाद भारत के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले हिंदुओं और सिखों की जनगणना करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

    इसमें कहा गया था कि एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाए और साल 1989 से 2003 तक जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं और सिखों के नरसंहार में शामिल और उनकी सहायता करने वाले और उकसाने वाले अपराधियों की पहचान की जाए। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों पर मुकदमा चलाने का निर्देश दिया जाए। इसमें हाल के महीनों में कश्मीर घाटी में मारे गए कश्मीरी पंडितों की हत्या की जांच की भी मांग की गई थी।

    2017 में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की

    याचिका में आरोप लगाया गया है कि 1990 के बाद जो लोग अपनी अचल संपत्तियों को छोड़कर कश्मीर से चले गए हैं, वे भारत के अन्य हिस्सों में शरणार्थियों का जीवन जी रहे हैं। उन लोगों की पहचान कर उनका पुनर्वास किया जाए। इससे पहले साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट में 1989-90 में कश्मीरी पंडितों की हत्याओं की जांच की मांग वाली पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

    कोर्ट ने आदेश में कहा था कि नरसंहार के 27 साल बाद सबूत जुटाना मुश्किल है। मार्च में दायर नई याचिका में कहा गया कि 33 साल बाद 1984 के दंगों (सिख दंगों) की जांच करवाई जा सकती है तो ऐसा ही इस मामले में भी संभव है।