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Pegasus Case: पेगासस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग संबंधी याचिकाओं पर कल होगी सुनवाई

Pegasus Case इससे पहले केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में सीमित हलफनामा दाखिल कर कहा था कि पेगासस जासूसी के आरोपों की स्वतंत्र जांच की मांग संबंधी याचिकाएं अनुमानों या निराधार मीडिया रिपोर्टो या अधूरी या अपुष्ट सामग्री पर आधारित हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 07:23 PM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 07:40 PM (IST)
Pegasus Case: पेगासस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग संबंधी याचिकाओं पर कल होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सात सितंबर को दूसरा हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को दिया था और समय

नई दिल्ली, प्रेट्र। इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिये देश के कुछ नामी-गिरामी लोगों की कथित रूप से जासूसी की स्वतंत्र जांच की मांग संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सात सितंबर को याचिकाओं पर और जवाब दाखिल करने का फैसला करने के लिए केंद्र सरकार को और समय प्रदान कर दिया था। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना था कि कुछ मुश्किलों की वजह से दूसरा हलफनामा दाखिल करने पर फैसला करने के लिए वह सरकार के संबंधित अधिकारियों से मुलाकात नहीं कर सके।

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इससे पहले केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में सीमित हलफनामा दाखिल कर कहा था कि पेगासस जासूसी के आरोपों की स्वतंत्र जांच की मांग संबंधी याचिकाएं अनुमानों या निराधार मीडिया रिपोर्टो या अधूरी या अपुष्ट सामग्री पर आधारित हैं।

17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर साफ कर दिया था कि वह नहीं चाहता कि सरकार कोई ऐसी चीज उजागर करे जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ती हो। साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा अदालत के लिए भी उतनी ही अहम है जितनी सरकार के लिए। उसकी मंशा सुरक्षा ब्योरा जानने की नहीं है, वह सरकार को इसके लिए मजबूर नहीं कर रही है। अदालत सिर्फ इतना चाहती है कि सरकार बताए नागरिकों व प्रख्यात लोगों की जासूसी के लिए पेगासस का प्रयोग हुआ था या नहीं।

बंगाल सरकार ने गठित किया था न्यायिक आयोग

गौरतलब है कि बंगाल सरकार ने पिछले महीने पेगासस मामले की पड़ताल के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (रिटायर्ड) मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में दो सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। इसके बाद ग्लोबल विलेज फाउंडेशन नामक एनजीओ ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि किसी भी राज्य को इस तरह के आयोग के गठन का अधिकार नहीं है। इस याचिका पर 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया था।


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