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कावेरी जल विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, मांड्या में धारा 144 लागू

कावेरी जल विवाद के मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Tue, 20 Sep 2016 09:03 AM (IST)Updated: Tue, 20 Sep 2016 02:49 PM (IST)
कावेरी जल विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, मांड्या में धारा 144 लागू

दिल्ली। कावेरी नदी के पानी को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु में चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। कोर्ट ने कर्नाटक को तमिलनाडु के लिए रोजाना 12 हज़ार क्यूसेक पानी छोड़ने को कहा था। इस मसले पर दोनों राज्यों में हो रही हिंसा पर कोर्ट ने गहरी नाराज़गी जताई थी। कोर्ट ने दोनों राज्यों को शांति बनाए रखने के लिए ज़रूरी कदम उठाने का आदेश दिया था।

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मांड्या में धारा 144 लागू

सुुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के मद्देनजर मांड्या के संजय सर्किल इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है। कर्नाटक के गृहमंत्री ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। इसके साथ ही कर्नाटक सरकार ने ऐहतियात के तौर पर प्रशासन से सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट का क्या था आदेश ?

सुप्रीम कोर्ट ने पहले 15 हजार क्यूसेक पानी हर रोज 10 दिनों तक देने का निर्देश दिया था। कर्नाटक सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में संशोधन किया और 12 हजार क्यूसेक 20 सितंबर तक देने का निर्देश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी को फैसले पर आपत्ति हो तो वो अर्जी दायर कर सकता है। कोर्ट के पहले के आदेश पर कर्नाटक के अलग-अलग इलाकों में जमकर हिंसा हुई थी।

क्या है कावेरी जल विवाद ?

1. कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक के कोडागू जिले से होता है जोकि तमिलनाडू से होते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। कावेरी बेसिन के अंतर्गत तमिलनाडू, केरल, कर्नाटक और केंद्र शासित प्रदेश पुंदुचेरी के कुछ हिस्से आते हैं।

2. कावेरी नदी जल विवाद पर कानूनी शुरूआत 1892 और 1924 को हुए समझौतों की वजह से हुई जोकि मैसूर के राजपरिवार और मद्रास प्रेसिडेंसी के बीच हुर्ई थी। सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद केंद्र सरकार ने 1990 में कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल का गठन किया।
3. साल 2007 में ट्रिब्यूनल ने अपने अंतिम फैसला देते हुए कहा कि तमिलनाडू को 419 टीएमसीएफटी पानी मिलना चाहिए, कोर्ट ने जो आदेश दिया है, ये उसका दोगुना है यही वजह है कि कर्नाटक इस आदेश से संतुष्ट नही है।
4. 2007 के आर्डर से पहले तलिमनाडू ने 562 टीएमसीएफटी पानी की मांग की जोकि कावेरी बेसिन में मौजूद पानी का तीन चौथाई हिस्सा था। वहीं कर्नाटक ने 465 टीएमसीएफटी पानी की मांग की जोकि उपलब्ध पानी का दो तिहाई हिस्सा था।


5. इस साल अगस्त में तमिलनाडू सरकार ने कहा कि कर्नाटक ने 50,0052 टीएमसीएफटी पानी कम छोड़ा है। वही कर्नाटक सरकार ने कहा कि वो कावेरी का और पानी तमिलनाडू को नहीं दे सकते क्योंकि कम बारिश की वजह से पानी का रिजर्व आधा है।
6. पांच सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को 10 दिनों तक 15 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडू को देने का आदेश दिया। यहीं से कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। किसानों का कहना है कि उनके खुद के खेतों के लिए पानी पूरा नहीं पड़ रहा है।
7. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा कि 15 हजार क्यूसेक पानी रोज छोड़ने का फैसला पूरी तरह राज्य को पानी से वंचित करने जैसा है। उन्होंने ये भी कहा कि पानी की कमी राज्य के आईटी सैक्टर को भी प्रभावित कर सकती है।
8. कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कोर्ट से अनुरोध किया कि वो तमिलनाडु को कावेरी का पानी देने के आदेश को वापस ले ले। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को वापस लेने से मना कर दिया।
9. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कर्नाटक को 20 सितंबर तक हर दिन तमिलनाडू को 12 हजार क्यूसेक पानी देना होगा।


10. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार द्वार उसके आदेश का पालन ना करने पर नाखुशी भी जताई। कोर्ट ने कहा कि देश के नागरिक और कार्यपालिका को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर कोर्ट ने कोई आदेश दिया है तो या तो उसका पालन करें और या फिर उसमें बदलाव के लिए कोर्ट में याचिका दायर करें। जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि लोग कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं।

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