आयुष्मान भारत के लाभार्थियों को RAN के तहत इलाज नहीं, एम्स और एनएचए का प्रस्ताव ठुकराया
एम्स और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने मंत्रालय से अपील की थी कि आयुष्मान भारत के लाभार्थियों को ब्लड कैंसर और लीवर की गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधा नहीं मिल पाती है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने 'आयुष्मान भारत' (Ayushman Bharat) के लाभार्थियों को महंगे इलाज वाली जानलेवा बीमारियों के लिए 'राष्ट्रीय आरोग्य निधि' (Rashtriya Arogya Nidhi) के तहत इलाज कराने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। हालांकि मंत्रालय का कहना है कि ऐसे गंभीर रोगियों के लिए स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) योजना की पांच लाख की सीमा को बढ़ाकर उन्हें इलाज की सुविधा देने पर विचार अवश्य किया जा सकता है।
एम्स और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने मंत्रालय से अपील की थी कि आयुष्मान भारत के लाभार्थियों को ब्लड कैंसर और लीवर की गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधा नहीं मिल पाती है। चूंकि इन बीमारियों को इस स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत कवर नहीं किया जाता है।
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाइ) की सीईओ इंदु भूषण को लिखे पत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस संबंध में एम्स और एनएचए के सुझावों को स्वीकृति नहीं दी जा सकती है, चूंकि इन दोनों योजनाओं का मापदंड अलग है। मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय आरोग्य निधि (आरएएन) के तहत वित्तीय सहायता का आधार राज्य में समय-समय पर निर्धारित गरीबी की रेखा है। जबकि पीएमजेएवाई के तहत इलाज की सुविधा उन्हीं लोगों को मिलती है जो एसईसीसी के डाटाबेस 2011 में वंचितों के आधार पर उपयुक्त हों।
मंत्रालय ने कहा कि उनका ध्यान ऐसे मामलों की ओर आकृष्ट किया गया जिसमें पीएमजेएवाई के तहत ब्लड कैंसर और लीवर की गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीजों का इलाज करने से इन्कार कर दिया गया। चूंकि इस योजना के तहत दिए जाने वाले 1350 मेडिकल पैकेज में इन बीमारियों का उल्लेख नहीं है। लेकिन यह मरीज आरएएन योजना के तहत भी इलाज का लाभ नहीं ले पा रहे थे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस सुझाव को खारिज करते हुए कहा कि पीएमजेएवाई में फंडिंग का पैटर्न केंद्र और राज्य के बीच 60:40 का है जबकि आरएएन योजना के तहत सौ फीसद धनराशि केंद्र सरकार ही देती है। आरएएन योजना एक आम स्वास्थ्य योजना नहीं है जो सभी मरीजों का इलाज कर सके। इस स्वास्थ्य योजना के तहत पांच लाख रुपये से अधिक के इलाज वाले मरीज ही आते हैं।