क्या आरक्षण की वर्तमान व्यवस्थाएं पिछले सात दशक में सामाजिक न्याय की स्थापना कर सकी हैं?

किसी गरीब को केवल इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता है कि वह सामान्य जाति में जन्मा है। हर वर्ग के गरीबों को सामाजिक न्याय एवं प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। जाति आधारित आरक्षण के अब तक के प्रभाव की समीक्षा करते हुए इसके तार्किक विकल्प की तरफ बढ़ने की आवश्यकता है।