डॉक्टर हर्षवर्धन बोले, दवाओं की वैश्विक किल्लत से निपटने के लिए नया रोडमैप है जरूरी
कोरोना से निपटने के सरकार के कदमों की जानकारी देते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि समन्वित प्रयासों से हमने प्रति दस लाख आबादी पर संक्रमितों की संख्या 7533 और मृतकों की संख्या 109 रही जो वैश्विक आंकड़े से बहुत कम है।
नई दिल्ली, एजेंसियां। कोरोना से निपटने के लिए आवश्यक दवाओं और वैक्सीन की किल्लत को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने नए रोडमैप की जरूरत बताई है। स्वास्थ्य मंत्री ने प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर कोरोना के बाद की चुनौतियों पर आयोजित विशेष सत्र में अध्यक्षता करते हुए कहा कि विश्व को बीमारियों से होने वाली मौतों को कम करने के लिए प्रभावी रोडमैप की जरूरत है। हमें दवाओं और वैक्सीन की किल्लत को दूर करने का प्रयास करना होगा। यह लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मैं आप लोगों के साथ मिलकर काम करने को तैयार हूं।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल ने हमें हमारी कमजोरियों से परिचित कराया है। हमें अपने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधी ढांचे को बहुत मजबूत करना होगा। कोरोना के बाद की चुनौतियों, रणनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की चर्चा करते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि विश्व की 60 फीसद वैक्सीन का निर्माण और आपूर्ति करने वाले भारत को अपनी वैश्विक जिम्मेदारियों का अहसास है। वैक्सीन के संबंध में भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) समेत अन्य अंतराराष्ट्रीय संस्थाओं के संपर्क में है।
कोरोना को लेकर पीएम मोदी शुरू से ही रहे गंभीर
कोरोना से निपटने के सरकार के कदमों की जानकारी देते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि समन्वित प्रयासों से हमने प्रति दस लाख आबादी पर संक्रमितों की संख्या 7,533 और मृतकों की संख्या 109 रही जो वैश्विक आंकड़े से बहुत कम है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना के लिए शुरु से ही बहुत गंभीर रहे हैं। कोरोना से निपटने की तैयारी के लिए उन्होंने पहली बैठक पिछले साल आठ जनवरी को की थी। उन्होंने कोरोना से निपटने में अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों का भी बहुत आभार जताया।
भारत को और क्षमतावान बनाने को आगे आएं आप्रवासी : जयशंकर
प्रवासी भारतीय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए भारत का और क्षमतावान होना जरूरी है। अंतरराष्ट्रीय मानकों की कसौटी पर भारत हमेशा एक विश्वसनीय साझेदार और भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता रहा है। कोरोना काल के बाद भारत की और प्रभावी भूमिका के लिए आप्रवासी भारतीयों को आगे आकर मिलकर काम करना चाहिए।
विदेश मंत्री ने आप्रवासी समुदाय को एक बड़ा परिवार बताते हुए कहा कि जो पौधा कभी मातृभूमि से अलग करके विदेशी भूमि पर रोपा गया था वह सदाबहार वृक्ष में तब्दील हो गया है। इसकी लहलहाती शाखाएं अब सभी महाद्वीपों में फैली हुई हैं।