जीतू सोनी से अब तक नहीं मिली चर्चित हनी ट्रैप मामले की हार्ड डिस्क, पढ़ें पूरा मामला
पुलिस रिमांड के दौरान मांगने पर गुर्राया- प्रताडि़त मत करो वर्दी उतरवा दूंगा। हवालात और बिस्तर देख भर आई आंखें पुलिस वालों से अखबार मंगवाए।
इंदौर, जेएनएन। मध्य प्रदेश के चर्चित हनी ट्रैप से जुड़े ब्लैकमेलिंग मामले के गिरफ्तार आरोपित जीतू सोनी से अब तक हार्ड डिस्क नहीं मिली है। मानव तस्करी, अपहरण सहित दर्जनों मामलों में सोनी को गुजरात के अमरेली से शनिवार को गिरफ्तार कर रविवार को इंदौर लाया गया है। उसे कोर्ट ने तीन जुलाई तक पुलिस की रिमांड पर सौंपा है। जीतू सोनी से पुलिस अधिकारी लगातार पूछताछ कर रहे हैं। पूछताछ का केंद्र वह हार्ड डिस्क है जिसमें 'हनीट्रैप' के राज कैद हैं। पुलिस किसी भी तरह हार्ड डिस्क हासिल करना चाहती है, जबकि जीतू एक ही जवाब बार-बार दे रहा है कि हार्ड डिस्क उसके पास नहीं है।
एक डिस्क पहले ही वह कोर्ट को सौंप चुका है। रविवार देर रात जब उसे महिला थाने की हवालात में बंद किया जा रहा था, तब भी वह भड़क गया और बोला- 'प्रताडि़त मत करो, वर्दी उतरवा दूंगा'। बाद में अफसरों के समझाने पर लॉकअप में तो चला गया, लेकिन पूरी रात करवट बदलता रहा। अलसुबह हिंदी के तीन और एक अंग्रेजी अखबार बुलवाकर सबसे पहले यह देखा कि उसके बारे में क्या-क्या छपा है।
रविवार रात पहले आइजी विवेक शर्मा, डीआइजी हरिनारायणचारी मिश्र ने पूछताछ की। इस दौरान उसने गलत कामों से इन्कार किया और दो बार रोया। उसने कहा मुझे बर्बाद कर दिया। करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हो गया और भाई-बेटे को जेल भेज दिया। देर रात टीआइ विनोद दीक्षित और सीएसपी पूर्ति तिवारी पूछताछ करने पहुंचीं। हार्ड डिस्क मांगने पर बोला मेरे पास कुछ नहीं है। हार्ड डिस्क कोर्ट को सौंप दी और ऑफिस में रखा रिकॉर्ड पुलिस ने जब्त कर लिया। जीतू से पुलिस की अलग-अलग टीमें वह हार्ड डिस्क मांग रही है, जिसे प्रसारित कर अफसर-नेताओं को वह ब्लैकमेल करता था।
पूछताछ में पुलिस पर रौब
पुलिस अफसरों ने जब यह पूछा कि फरारी कहां-कहां काटी और मददगार कौन-कौन थे, तो कहा 'मैं गुजरात गया था और गुजरात से आ गया। बुजुर्ग मां, भाई की देखभाल करना जरूरी था, इसलिए पुश्तैनी गांव रहने चला गया।' दबाव डालते ही टीआइ विनोद दीक्षित पर भड़क गया और कहा, 'मुझे प्रताडि़त मत करो, मैंने कोई गुनाह नहीं किया है। मेरा भी वक्त आएगा। तुम सबकी वर्दी उतरवा दूंगा।'
कंबल देखकर आंखें भर आई
करीब तीन घंटे हुई चर्चा के बाद पुलिस जवान उसे महिला थाने की हवालात में ले आए। जैसे ही लॉकअप में डाला, वहां रखे बदबूदार कंबल देख उसकी आंखें भर आई। पुलिस वालों ने समझाया और कहा जो व्यवस्था सबके लिए है, वही तुम्हारे लिए की है। थाना और हवालात में कैमरे लगे हैं। हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है।
लुक आउट नोटिस जारी होने से विदेश नहीं भाग पाया
पूछताछ के दौरान जीतू ने अफसरों को यह भी बताया कि उसने सात महीने में बहुत तकलीफ झेली है। किसी ने साथ नहीं दिया और दर-दर भटकना पड़ा। सबसे ज्यादा तकलीफ उस वक्त हुई जब बेटे अमित को हथकड़ी लगी तस्वीर देखी। दूसरी चोट बंगला (इंदौर के कनाडि़या रोड पर) टूटने पर हुई। इस कार्रवाई के बाद उसके मन में आत्महत्या का विचार भी आया। जीतू ने यह भी बताया कि वह विदेश भागना चाहता था, लेकिन लुकआउट नोटिस जारी होने से सफल नहीं हो पाया, लेकिन बेटे और भाइयों की खातिर वह जमानत के प्रयास करने में लगा रहा।