Har Ghar Tiranga: अमेरिका में हर रोज तिरंगा फहराने वाले नवीन जिंदल ने कहा- यह हमें राष्ट्र निर्माण की देता है प्रेरणा
उद्योगपति नवीन जिंदल ने कहा कि तिरंगे के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हमने अनेक पुस्तिकाएं निकालीं और संशय खत्म करने के लिए गृह मंत्रालय को अनेक पत्र लिखे। मैं सराहना करता हूं कि तिरंगा फहराने में जो संशय था उसे सरकार ने खत्म कर दिया है।
नवीन जिंदल। पिछले दिनों मैं दिल्ली की एक सड़क से गुजर रहा था। मैंने देखा कि कुछ बच्चे अपने हाथ में तिरंगा लिए पर्यावरण जागरूकता का नारा लगाते पंक्तिबद्ध होकर चल रहे थे। यह देखकर अच्छा लगा कि एक अच्छे उद्देश्य की अभिव्यक्ति में तिरंगा प्रतिनिधित्व कर रहा है। यह देखकर अच्छा लगता है कि भारत कोई उपलब्धि प्राप्त करता है तो हमारा तिरंगा शान से लहराता नजर आता है।
तिरंगा हमारी उपलब्धियां लोगों तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है। शुरू में सभी को समय और झंडे के कपड़े को लेकर शंका थी। उन शंकाओं को दूर करने के लिए ही मैंने फ्लैग फाउंडेशन आफ इंडिया की स्थापना की। तिरंगे के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हमने अनेक पुस्तिकाएं निकालीं और संशय खत्म करने के लिए गृह मंत्रालय को अनेक पत्र लिखे। मैं सराहना करता हूं कि तिरंगा फहराने में जो संशय था, उसे सरकार ने खत्म कर दिया है। अब दिन-रात झंडा फहराने की आजादी भी मिल गई है।
लोग मुझसे पूछते हैं कि मुझे इसकी प्रेरणा कहां से मिली? दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद मैं बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए अमेरिका के डलास स्थित यूनिवर्सिटी आफ टेक्सास चला गया था। बात अगस्त, 1990 की है। तब इराक ने कुवैत पर कब्जा कर लिया था। अमेरिकी नेतृत्व में अनेक देशों ने वहां अपनी सेना तैनात कर दी और कुवैत को इराकी कब्जे से मुक्त कराने में कामयाबी हासिल की। मैंने देखा कि इस युद्ध के दौरान अधिकतर अमेरिकी नागरिक अपने आफिस, घर, सार्वजनिक स्थलों, पार्कों और इमारतों पर गर्व और सम्मान के साथ अपना झंडा फहरा रहे थे। अपने देश और सैनिकों के प्रति अमेरिकियों का यह प्रेम मेरी प्रेरणा का स्नोत बना। मैंने भी भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराकर अपनी देशभक्ति का प्रदर्शन करना चाहा, लेकिन वहां मुझे भारत का झंडा कहां मिलता? जब मैंने इस बात का जिक्र अपने मित्रों से किया, तो मुझे एक अमेरिकी दोस्त ने तिरंगा लाकर दिया। फिर पढ़ाई पूरी होने तक मैंने प्रतिदिन अपना राष्ट्रीय ध्वज वहां फहराया।
1992 में पढ़ाई पूरी करने के बाद जब मैं भारत वापस आया तो छत्तीसगढ़ के रायगढ़ (तब मध्य प्रदेश में था) स्थित अपनी फैक्ट्री में प्रतिदिन झंडा फहराने लगा, लेकिन मुझे सरकारी अफसरों और पुलिस ने मना कर दिया। उनका कहना था कि इससे झंडे का अपमान हो सकता है। मुझे बड़ा दुख हुआ कि अपने ही देश में मैं अपना झंडा क्यों नहीं फहरा सकता? फिर मैंने ठान लिया कि यह आजादी लेकर रहूंगा और मैंने दिल्ली हाई कोर्ट में 1995 में याचिका दायर की। यह लड़ाई 10 साल चली और 23 जनवरी, 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में सभी देशवासियों को अपने आफिस, घर, कारखाने और सार्वजनिक जगहों पर सम्मानपूर्वक हर रोज ‘तिरंगा’ फहराने का अधिकार प्रदान कर दिया। इसके बाद मैंने सांसद के रूप में सरकार से कमर के ऊपर तिरंगा धारण करने की अनुमति दिलाई। आज लैपल पिन, कैप, हैंड बैंड के माध्यम से हम तिरंगा प्रदर्शित कर राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त कर रहे हैं।
हमारी यात्रा यहीं नहीं थमी। मैंने विदेश में विशाल झंडे रात में भी फहरते देखे तो विचार आया कि हम भारत में भी यह कर सकते हैं। तब मैंने केंद्रीय गृह मंत्रलय में याचिका दायर कर विशाल राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति मांगी। दिसंबर, 2009 में गृह मंत्रालय ने रात में तिरंगा फहराने के मेरे प्रस्ताव पर सशर्त सहमति दे दी। मंत्रालय ने कहा कि जहां समुचित रोशनी की व्यवस्था हो, वहां इमारत या विशाल खंभे पर तिरंगा रात में भी फहराया जा सकता है।
यह सत्य है कि सिर्फ तिरंगा प्रदर्शित करने से कोई देशभक्त नहीं बन जाता। यह प्रतीकात्मक है लेकिन किसी भी काम में सफलता के लिए हम इसे प्रेरणास्रोत अवश्य बना सकते हैं। तिरंगा हमारा राष्टध्वज है, जो देश की संप्रभुता और स्वाभिमान का सर्वोच्च प्रतीक है। हमें इसका मान-सम्मान बनाए रखना है। हमें सदैव याद रखना है, ‘झंडा ऊंचा रहे हमारा’।
मुझे खुशी होती है कि हमारा झंडा आज हर जगह दिखाई दे रहा है। तिरंगा हमें राष्ट्र के प्रति निष्ठा और समर्पण की प्रेरणा देता है। मैं कहता हूं कि तिरंगा को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। रोज फहराएं क्योंकि इससे हमें राष्ट्र निर्माण में योगदान करने की प्रेरणा मिलती है।
(लेखक: संस्थापक, फ्लैग फाउंडेशन आफ इंडिया)