Happy Father's Day 2020: पापा से अपने मन की बात कह देना हक समझती हैं बेटियां...
Happy Fathers Day 2020 बेटी जो भी कहती है पापा उसे दिल से सुनते हैं और उसे पूरा करने के लिए जी जान लगा देते हैं। बेटी के लिए फ्रंट पर आकर मोर्चा संभालते हैं।
यशा माथुर। Happy Father's Day 2020 पापा और बेटी के रिश्ते में स्नेह भी बेशुमार है और मनुहार भी। बेटी जो भी कहती है पापा उसे दिल से सुनते हैं और उसे पूरा करने के लिए जी जान लगा देते हैं। बेटी के लिए फ्रंट पर आकर मोर्चा संभालते हैं। इतना खास है यह रिश्ता कि मिठास भरी डांट-डपट तक चलती रहती है। कभी डांट बेटी को तो कभी पापा को। पापा से अपने मन की बात कह देना हक समझती हैं बेटियां...
हाल ही में अनिल कपूर ने बेटी सोनम कपूर के जन्मदिन पर सोशल मीडिया पर लिखा था कि सोनम ही एक ऐसी शख्स हैं जिनसे वे डरते हैं। उनकी प्यारी सी इस पोस्ट में बेटी के प्रति स्नेह झलक रहा था। वे जिस डर की बात कर रहे थे उसके पीछे बेइंतहा प्यार छिपा है। चूंकि बेटियां बेबाक होकर पिता को उनकी गलतियां बता देती हैं और पिता अपनी प्यारी सी बेटी के मुंह से निकले शब्दों का पूरा आदर करते हैं। ऐसी खुशनुमा बॉडिंग होती है बेटी और पापा के बीच। डर के पीछे छिपे इस प्यार वाले जज्बे को बेटियां मन से मानती भी हैं।
दोनों तरफ है मान मनौव्वल : बाप-बेटी के रिश्ते को समझना इतना आसान भी नहीं है। दोनों तरफ प्यार भी है और डांट भी। मान भी और मनौव्वल भी। एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली सान्या जैन कहती हैं, घरवालों को पापा से कोई काम करवाना होता है तो मुुझे ही आगे कर दिया जाता है। वे जानते हैं कि पापा मुझे मना नहीं करेंगे। मम्मी और भाई यही कहते हैं कि तुम जाकर पापा से पूछो, तुम्हारी बात वह अवश्य मानेंगे। कई बार पापा से हमारे विचार नहीं मिलते हैं तो उन्हें कोई नहीं कह पाता कि वह गलत हैं, लेकिन मैं कह देती हूं कि आप सही नहीं हंै या आपको नॉलेज नहीं है और पापा संयम के साथ मेरी बात सुन लेते हैं। हालांकि ऐसा दोनों तरफ है। वह मेरी डांट सुन लेते हैं तो मुझे भी खूब डांट लगा देते हैं। प्यार भी सबसे ज्यादा मुझसे और डांट भी सबसे ज्यादा मुझे ही। पापा जब कहते हैं कि तुम मेरी सुनती नहीं हो, मैं सही कह रहा हूं, बाद में तुम्हें पता चलेगा तो ऐसा ही होता है। अगर उनकी कोई बात नहीं मानती हूं तो अहसास हो जाता है कि मैं गलत थी। फिर वह मेरी खूब खिंचाई करते हैं। पापा नीरज जैन के लिए मैं आज तक बड़ी नहीं हुई हूं। वर्क फ्रॉम होम में काम के कारण व्यस्त हूं तो वह साथ बैठकर मुझे खाना तक खिलाते हैं।
डांट का बुरा नहीं मानते : पापा हमेशा अपनी बेटियों को राजकुमारी की तरह रखते हैं। वे किसी की नहीं सुनते हैं, लेकिन बेटी कुछ कहे तो टालते नहीं। फूड राइटर गीतांजलि कहती हैं, मेरे पापा किसी की भी नहीं मानते, अपनी ही चलाते हैं, लेकिन जब मैं उनसे बात करती हूं और समझाती हूं तो वह मेरी बात मान जाते हैं। मम्मी चाहे कुछ भी कहें, भाई चाहे कुछ भी बोले, उन्हें फर्क नहीं पड़ता। वह मेरी राय का इंतजार करते हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि पापा कोई फैसला नहीं ले पा रहे होते हैं और जब मैं उनसे हां कहती हूं तो वह तुरंत ही खुश होकर मान जाते हैं। मैं पापा को डांट भी देती हूं कि आप इतने बड़े हो गए समझते नहीं हैं, लेकिन पापा बुरा नहीं मानते साथ ही वह मंद-मंद मुस्कराने लगते हैं। उनको लगता है कि यह कुछ कह रही है तो सही ही होगा। जब मम्मी को फोन करती हूं तो भी पापा गिरीश चंद्र की हिदायतों वाली आवाजें पीछे से आ रही होती हैं।
पापा रोल मॉडल हैं : जब बेटी ससुराल जाती है तो उसे और ज्यादा समझ आता है कि पिता ने उसकी जिद और सपनों को किस तरह से पूरा किया है। जम्मू की रहने वाली महक की हाल ही में शादी हुई है। अब लुधियाना में फार्मा, कॉस्मेटिक और फूड इंडस्ट्रीज के लिए पैकेजिंग सॉल्यूशन के बिजनेस को देख रही महक कहती हैं, हर बेटी के लिए पापा रोल मॉडल होते हैं। मैं तो अपने पति में भी पापा को देखना चाहती हूं। मां ने पंख दिए हैं तो पापा ने उडऩा सिखाया है। मेरे पापा ज्योति प्रकाश ने हर मोड़ पर सपोर्ट किया। जीना सिखाया। हर एक पिता अपनी हैसियत से ज्यादा खुशियां देने का प्रयास करते हैं। बेटियां भी हक से मांगती हैं। मैं फोन करती हूं तो वह सब काम छोड़ कर मेरी बात सुनते हैं।
परस्पर आदर का है रिश्ता : एक बेटी के लिए सबसे प्यारे इंसान पापा ही होते हैं। वह अपनी बेटी के लिए अलादीन का चिराग होते हैं। बेटियां हक से कुछ मांगती हैं तो पापा कैसे भी उनकी मांग पूरी करते हैं और उनकी बात की वैल्यू करते हैं। शायद प्यार से इसे ही डर कहते हैं। स्टूडेंट शिवानी कहती हैं, बेटी की मांग तो पापा पूरा करते ही हैं। मेरा पापा से परस्पर आदर का रिश्ता है। मैं कुछ बोल देती हूं तो उनको मानना पड़ता है। अगर भाई कुछ बोलता है तो उसे डांट पड़ जाती है। पापा को हमेशा लगता है कि मैं गुस्सा न हो जाऊं। जब मुझे गुस्सा आता है तो पापा नाराज नहीं होते, बल्कि मुझे शांत रहने के लिए कहते हैं।
लकी हूं पापा पर गई हूं
टीना भाटिया, अभिनेत्री
हम चार भाई-बहनों में मैं ही पापा पर गई हूं। कहा जाता है कि जो लड़कियां पापा पर जाती हैं वे लकी होती हैं। शायद इसलिए ही अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मेरा सपना आज पूरा हो पाया। फिल्म गुलाबो-सिताबो में मैंने उनके साथ काम किया है। पापा को संगीत से लगाव था। इसलिए हम सब कला के क्षेत्र में आए। अपने भाई-बहनों में मैं ही ऐसी हूं, जो अपनी हर बात पापा से मनवा लेती हूं और वह खुशी-खुशी मान भी लेते हैं। वैसे वह सख्त मिजाज रहे हैं, लेकिन अब काफी विनम्र हो गए हैं। अब पापा बच्चों जैसे हो गए हैं और हम उनके लिए बड़े हो गए हैं। पहले उनसे डर लगता था, लेकिन अब वह कुछ गलत करते हैं तो दो बातें बोल देते हैं प्यार से। वह समझ जाते हैं, बहस नहीं करते साथ ही मान लेते हैं। मैंने पापा मधुसूदन भाटिया के खिलाफ जाकर लव मैरीज की, लेकिन शादी के बाद उन्होंने जाना कि मैंने सही कदम उठाया है। अब वह गर्व महसूस करते हैं कि मेरी बेटी अपने दम पर इतनी आगे आई है।
कहीं मैं नाराज न हो जाऊं
हर्षदा पाटिल, अभिनेत्री
पापा ने हमेशा मुझे सपोर्ट किया। सारी हिम्मत उनसे ही आई है। तीन भाई-बहनों में मैं सबसे बड़ी हूं। जब मैं एयर होस्टेस की जॉब छोड़कर एक्टिंग में आ रही थी तब उन्होंने कहा था कि पहले अच्छे प्रोजेक्ट हाथ में ले लो। फिर जॉब छोड़ो, लेकिन जब मैंने उन्हें समझाया तो पापा मान गए। मेरे पिता डॉ. गोपाल राव किशन राव पाटिल ने साइबर लॉ में पीएचडी की है, लेकिन कहते हैं कि तुमसे पार पाना आसान नहीं है। पापा हमेशा सतर्क रहते हैं कि कहीं मैैं नाराज न हो जाऊं। जब मैं नाराज हो जाती हूं तो सारा मामला गड़बड़ हो जाता है। वह घबराते हैं कि कहीं मैं रूठ न जाऊं। मैं पहली संतान हूं न तो बहुत लाड़-प्यार में पली हूं। वैसे घर में उनका रौब है। जब कभी उन्हें गुस्सा आता है तो बहुत तेज डांट लगाते हैं। उस समय हम सब बिल्कुल चुप हो जाते हैैं।
पिता से ज्यादा दोस्त हूं
डॉ. तनवीर सिंह, डायरेक्टर, डेंटम
मेरी दो टीनएजर बेटियां है अर्शीन और सुरवीन। मेरी जिंदगी हैं ये दोनों। मैं पिता से ज्यादा दोस्त बनकर रहता हूं और उनकी हर इच्छा पूरी करता हूं। लॉकडाउन से पहले हम मॉल जाते थे, शॉपिंग पर जाते थे। मैं और मेरी पत्नी डॉक्टर हैं। कोरोना के इस समय में हम फ्रंट पर काम कर रहे हैं। इस समय जो भी टाइम मिलता है उनके साथ फिल्म देखकर गुजारता हूं, लेकिन छह फीट दूर बैठकर। कभी-कभी तो जब रोगी देखकर घर आता हूं तो बेटियों से मिलता भी नहीं हूं। वीकेंड में साथ बैठते हैं। बातें करते हैं और उनके ऑनलाइन प्रोजेक्ट में मदद करता हूं।