'नया दौर' लाने वाले इस शख्स ने 'महाभारत' रचकर हर दिल में घर कर लिया
अपनी 'दास्तां' सुनाते-सुनाते 5 नवंबर 2008 को बीआर चोपड़ा इस 'बागबान' को छोड़कर चले गए।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। बॉलीवुड आज निर्माता-निर्देशक बीआर चोपड़ा का जन्मदिन मना रहा है। 14 अप्रैल 1914 को जन्मे बलदेव राज चोपड़ा को पूरी दुनिया बीआर चोपड़ा के नाम से और खासकर छोटे पर्दे के लिए बनाई गई 'महाभारत' के लिए जानती है। साल 1957 में ही बॉलीवुड में 'नया दौर' लाने वाले बीआर चोपड़ा ने 1980 के दशक में महाभारत के रूप में ऐसी कृति रच दी कि हर कोई उनका कायल हो गया।
एक से बढ़कर एक शानदार फिल्मों के अलावा बीआर चोपड़ा की एक पहचान 'महाभारत' भी है। महाभारत के रूप में उन्होंने भारतीय टेलीविजन के इतिहास में एक ऐसी रचना रच डाली, जिसे आज भी और नई पीढ़ी के लोग भी पसंद करते हैं। कहा जाता है कि 1980 के दशक के अंत में जब रविवार को सुबह 10 बजे दूरदर्शन पर महाभारत का प्रसारण होता था तो देशभर में जिंदगी थम सी जाती थी।
महाभारत के प्रसारण के एक घंटे के दौरान सड़कें सूनी पड़ जाती थी, सारे काम एक घंटे के लिए टाल दिए जाते थे। 94 एपिसोड का महाभारत लगभग दो साल तक टीवी पर प्रसारित होता रहा। इसके बाद भी न जाने कितनी बार इसे टीवी पर प्रसारित किया जा चुका है। यूनाइटेड किंगडम में बीबीसी पर महाभारत को दिखाया गया। इसके अलावा फीजी में एफबीसी टीवी और भारत में ही स्टार उत्सव व एपिक टीवी पर भी इसे प्रसारित किया गया है।
बीआर चोपड़ा को साल 2001 में पद्म भूषण के नवाजा गया। इससे पहले 1998 में उन्हें दादा साहेब फाल्के अवार्ड दिया गया। साल 1962 में उन्हें फिल्म 'कानून' के लिए बेस्ट डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला, जबकि 2003 में उन्हें फिल्मफेयर ने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा।
वह बॉलीवुड को नया दौर, हमराज, कानून, पति पत्नी और वो, निकाह, छोटी सी बात, द बर्निंग ट्रेन और बागबान जैसी फिल्में दे गए। फिल्म बागबान (2003) और बाबुल (2006) की तो कहानी भी उन्होंने खुद ही लिखी थी। अपनी 'दास्तां' सुनाते-सुनाते 5 नवंबर 2008 को बीआर चोपड़ा इस 'बागबान' को छोड़कर चले गए।
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