''छात्रा ने दोनों ही बयान अपने मर्जी से नहीं दिए, अधिकारियों ने बनाया दबाव''
जेकेसीसीएस ने सोमवार को दावा किया है कि हंदवाड़ा मामले की मुख्य गवाह और पीडि़ता ने चीफ ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट के समक्ष स्वेच्छा से नहीं बल्कि पुलिस के दबाव में, पुलिस के निर्देशानुसार ही अपना बयान दर्ज कराया है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कश्मीर में सक्रिय मानवाधिकारों के झंडाबरदार संगठन जम्मू कश्मीर कोएलिशन ऑफ सीविल सोसाईटी(जेकेसीसीएस) ने सोमवार को दावा किया है कि हंदवाड़ा मामले की मुख्य गवाह और पीडि़ता ने चीफ ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट के समक्ष स्वेच्छा से नहीं बल्कि पुलिस के दबाव में, पुलिस के निर्देशानुसार ही अपना बयान दर्ज कराया है।
जेकेसीसीएस के प्रवक्ता खुर्रम परवेज ने कहा कि पीडि़ता ने दो बयान दिए हैं। उसका पहला बयान घटना वाले दिन पुलिस हिरासत में लिया गया और उसका वीडियो भी वायरल हुआ है। दूसरा बयान गत शनिवार की देर शाम गए चीफ ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट की अदालत में धारा 164-ए के तहत हुआ है। लेकिन दोनों ही बयान उसने अपनी मर्जी से नहीं दिए हैं। यह दोनों ही बयान जबरन दिलाए गए हैं और उसने वही कहा जो उसे संबधित पुलिस अधिकारियों ने बताने को कहा था।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि जेकेसीसीएस ही हंदवाड़ा मामले की पीडि़त छात्रा की मां की तरफ से अदालत में मामले की पैरवी कर रही है। खुर्रम परवेज ने कहा कि लड़की ने अपने बयान में सुरक्षाकर्मियों को जो क्लीन चिट दी है,वह पुलिस के दबाव में दी है। सीजेएम की अदालत में उसका बयान भी उसके पिता और उसके वकीलों की अनुपस्थिति में दर्ज किया गया है। उसके बयान के समय अदालत में जज के अलावा चार और लोग थे,जिन्हें नाबालिग छात्रा नहीं पहचानती थी।
उन्होंने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई राज्य हाईकोर्ट में 20 अप्रैल को होनी है। इसलिए 48 घंटे का समय छात्रा और उसके परिजनों की सुरक्षा के लिए बहुत अहम है। जेकेसीसीएस के वकीलों का एक दल बीती रात छात्रा व उसके परिजनों से कुपवाड़ा के जच्लडारा इलाके में स्थित उसके ननिहाल में मिला है। वहां भी पूरा परिवार पुलिस की निगरानी मे है।
बैठक के दौरान नाबालिग छात्रा व उसके परिजनों ने इच्छा जताई है कि जेकेसीसीएस के कानूनविद्घों का दल ही उनकी अदालती लड़ाई लड़े। उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें 12 अप्रैल से अवैध तरीके से हिरासत में रखा गया है और उन्हें डराया धमकाया गया है।
खुर्रम परवेज ने कहा कि हमने राज्य महिला आयोग की प्रमुख नईमा महजूर से भी पीडि़त छात्रा व उसके परिजनों को पुलिस, मीडिया से पूरी तरह दूर किसी सुरक्षित जगह पर रखने का आग्रह किया है,जहां वह अपने वकीलों से निर्विरोध रुप से मिल सकें। इसके अलावा हमने मुख्यमंत्री महबूबा मुफती, राज्य पुलिस महानिदेशक ,आईजीपी कश्मीर, डीआईजी उत्तरी कश्मीर, मंडलायुक्त कश्मीर और जिला उपायुक्त कुपवाड़ा से लिखित आग्रह किया है कि संबधित परिवार को उनके वकीलों के साथ बिना किसी रोक टोक के संपर्क-संवाद की सुविधा प्रदान की जाए। लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है।