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हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ने GSLV-MKII का 50वां एल-40 चरण इसरो को सौंपा, जानें अगला प्‍लान

HAL ने इसरो को जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्‍हीकल (geosynchronous launch vehicle) यानी जीएसएलवी-एमके II (GSLV-MKII) का 50वां एल-40 (L-40) चरण सौंपा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 06:01 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 06:08 PM (IST)
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ने GSLV-MKII का 50वां एल-40 चरण इसरो को सौंपा, जानें अगला प्‍लान
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ने GSLV-MKII का 50वां एल-40 चरण इसरो को सौंपा, जानें अगला प्‍लान

बेंगलुरु, पीटीआइ। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited, HAL) ने शुक्रवार को बताया कि उसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो को जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्‍हीकल (geosynchronous launch vehicle) यानी जीएसएलवी-एमके II (GSLV-MKII) का 50वां एल-40 (L-40) चरण सौंपा है। एल-40 चरण को इस साल अगस्त में होने वाली इसरो की GSLV MKII-F12 उड़ान के लिए विकसित किया गया है।

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हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited, HAL) के एयरोस्पेस डिवीजन ने अभी तक एकीकृत और जीएसएलवी एमकेआईआई (GSLV MKII) की 12 उड़ानों के लिए एल-40 चरणों की आपूर्ति की है। इसमें जीएसएलवी एमकेआईआई-एफ10 (GSLV MKII-F10) की उड़ान मार्च के पहले हफ्ते में होनी है। बता दें कि एकीकृत एल-40 चरणों के अलावा हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड इसरो के लिए विभिन्न उपग्रहों को ले जाने वाले रॉकेटों की संरचनाओं का निर्माण कर रहा है।

इनमें प्रणोदक टैंक (propellant tanks), पीएसएलवी (PSLV) की फीडलाइंस, जीएसएलवी एमकेआईआई (GSLV MKII) और जीएसएलवी एमके III (GSLV MKIII) के साथ साथ उपग्रहों के उपकरण शामिल हैं। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited, HAL) ने कहा है कि उसने चंद्रयान -1 (Chandrayaan-I), चंद्रयान -2 (Chandrayaan-II), मंगलयान (Mangalyaan) और आगामी गगनयान (Gaganyaan) समेत इसरो की लगभग सभी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में योगदान दिया है।

उल्‍लेखनीय है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO पांच मार्च को GSLV-F10 के जरिए अपना अर्थ इमेजिंग सेटेलाइट जीसैट-1 भेजने वाला है। यह प्रक्षेपण पांच मार्च को शाम पांच बजकर 43 मिनट होना है। हालांकि, मौसम की परिस्थितियों को देखते हुए ही प्रक्षेपण के समय पर अंतिम मुहर लगेगी। यह उपग्रह सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा। इसरो के मुताबिक, जीसैट 2275 किलोग्राम वजनी है जिससे धरती पर जल्द और उच्‍च गुणवत्‍ता की तस्वीरें ली जा सकेंगी।  


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