इशरत जहां मामले में डेविड हेडली ने बढ़ाई चिदंबरम की मुश्किल
इशरत जहां मामले में संप्रग सरकार के समय गृह मंत्री रहे पी चिदंबरम की भूमिका पर संदेह लगातार गहराता जा रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इशरत जहां मामले में संप्रग सरकार के समय गृह मंत्री रहे पी चिदंबरम की भूमिका पर संदेह लगातार गहराता जा रहा है। लश्कर आतंकी डेविड हेडली ने शनिवार को मुंबई की विशेष अदालत को बताया कि उसने इशरत के आतंकी कनेक्शन के बारे में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को छह साल पहले ही बता दिया था। उसे इस बात की जानकारी लश्कर के शीर्ष आतंकी जकीउर रहमान लखवी से मिली थी।
हेडली ने दावा किया कि उसने एनआइए को बताया था कि भारत में एक मुठभेड़ में जो महिला आतंकी मारी गई, वह इशरत जहां थी। लेकिन उसे नहीं पता कि एजेंसी ने इसे रिकॉर्ड क्यों नहीं किया। एनआइए ने 2010 में अमेरिका जाकर हेडली का बयान दर्ज किया था। लेकिन इसमें इशरत के बारे में कोई सूचना नहीं थी। उस वक्त चिदंबरम देश के गृह मंत्री थे।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये मुंबई की अदालत में अपना बयान दर्ज करवा रहे हेडली ने बताया कि लखवी ने उसकी मुलाकात मुजम्मिल बट से करवाई थी। मुजम्मिल लश्कर का प्रमुख कमांडर था। उसके बारे में लखवी ने बताया था कि यही वह शख्स है, जो अक्षरधाम और इशरत जहां मामले को हैंडल कर रहा है।
उसने दावा किया कि वह एनआइए को यह भी बता चुका था कि भारत में लश्कर की एक महिला शाखा भी सक्रिय है। अबू ऐमन नाम के शख्स की मां इसकी प्रमुख है। इशरत इसकी सदस्य थी। हालांकि, उसने यह भी कहा कि उसे व्यक्तिगत तौर पर इशरत के बारे में और कुछ नहीं मालूम था। इस मामले की ज्यादातर जानकारी उसे मीडिया से ही मिली। इससे पहले फरवरी में भी इस मामले की सुनवाई के दौरान हेडली ने माना था कि इशरत लश्कर की सदस्य थी।
ठाकरे को सबक सिखाना चाहता था हाफिज सईद
शनिवार को उसने अदालती कार्रवाई के दौरान यह भी बताया कि हाफिज सईद ने एक बार उससे कहा था कि शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे को सबक सिखाना है। इसके लिए वह तैयार हो गया था। हालांकि, इस काम के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई थी। मगर उसने कहा था कि वह छह महीने में यह काम कर देगा। एक दिन पहले हेडली ने यह भी बताया था कि वह अमेरिका में शिव सेना के लिए एक कार्यक्रम करना चाहता था। इसमें बाल ठाकरे को बुलाने की योजना बनाई थी।
सवालों में चिदंबरम
-गुजरात में वर्ष 2004 में पुलिस मुठभेड़ में 19 वर्ष की इशरत मारी गई थी। संप्रग सरकार इस मुठभेड़ को फर्जी बताती रही।
-इस मामले में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान गृह मंत्रालय पर तथ्यों को छिपाने का आरोप लगाया जाता रहा है।
-पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने गुजरात हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामा बदलवाने के लिए दबाव डाले जाने का आरोप लगाया है।
-आंतरिक सुरक्षा के पूर्व अवर सचिव मणि के अनुसार, उन्हें राजनीतिक दबाव में दूसरे हलफनामे पर दस्तखत करने के लिए मजबूर किया गया।
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