तो क्या सरकार की लापरवाही का नतीजा हैं हैदराबाद धमाके?
लगभग छह साल बाद हैदराबाद में हुए आतंकी हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ हो सकता है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि ये धमाके अजमल कसाब और अफजल गुरु की फांसी से ज्यादा लश्कर-ए-तैयबा के 12 आतंकियों के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआइए] की चार्जशीट का बदला लेने के लिए हो सकते हैं। धमाके की खबर ि
नई दिल्ली [नीलू रंजन]। लगभग छह साल बाद हैदराबाद में हुए आतंकी हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ हो सकता है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि ये धमाके अजमल कसाब और अफजल गुरु की फांसी से ज्यादा लश्कर-ए-तैयबा के 12 आतंकियों के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआइए] की चार्जशीट का बदला लेने के लिए हो सकते हैं। धमाके की खबर मिलते ही एनआइए, एनएसजी और फारेंसिक विशेषज्ञों की टीम हैदराबाद के लिए रवाना कर दी गई है। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने पिछले दो दिनों से आतंकी हमले की खुफिया जानकारी मिलने की बात स्वीकार की है। इस बाबत राज्यों को अलर्ट भी किया गया था।
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा के जिन 12 आतंकियों के खिलाफ बुधवार को बेंगलूर में चार्जशीट दाखिल की गई है उनमें से दो का संबंध हैदराबाद से है। इनमें ओबैदुर्रहमान मूलत: हैदराबाद का रहने वाला है, जबकि नांदेड़ का अकरम पाशा लंबे समय से हैदराबाद में रह रहा था। सुरक्षा एजेंसियों रहमान और पाशा समेत लश्कर-ए-तैयबा के कुल 15 आतंकियों को पिछले साल अगस्त और सितंबर में गिरफ्तार किया था। इन आतंकियों पर बेंगलूर में बड़े राजनेताओं को निशाना बनाने की साजिश का आरोप लगाया गया है। माना जा रहा है कि इसी के बाद लश्कर आतंकियों ने धमाके का फैसला किया।
वैसे सुरक्षा एजेंसियां लंबे समय से हैदराबाद में आतंकी हमले की आशंका जताती रही हैं। मुंबई हमले के दोषी लश्कर आतंकी अजमल कसाब की फांसी के बाद केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने हैदराबाद में आतंकी हमले की आशंका जताई थी। इसके बाद शहर की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के अनुसार बुधवार और गुरुवार को खुफिया एजेंसियों ने आतंकी हमले के प्रति आगाह किया था। इसके आधार पर सभी राज्यों को सचेत भी कर दिया गया। लेकिन इसमें हैदराबाद में आतंकी हमले की अलग से आशंका नहीं जताई गई थी। जाहिर है खुफिया विभाग की इस सतही सूचना पर सुरक्षा बंदोबस्त करना संभव नहीं था और आतंकियों ने इसी का लाभ उठाया।
वैसे 2007 में गोकुल चाट और लुंबनी पार्क में बम विस्फोटों के बाद हैदराबाद आतंकी हमलों से महफूज रहा है। गुजरात के गृहमंत्री हरेन पांड्या की हत्या से लेकर अहमदाबाद में जुलाई, 2008 में हुए सीरियल धमाके के पीछे हैदराबाद से जुड़े लश्कर आतंकियों का हाथ रहा है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि हैदराबाद में अब भी लश्कर के सबसे अधिक स्लीपर सेल मौजूद हैं। यहां के युवाओं को आतंकी ट्रेनिंग की शुरुआत 2002 के बाद शाहिद बिलाल और रहमान खान ने की थी। लश्कर के ये दोनों आतंकी पाकिस्तान में बैठकर स्थानीय युवाओं को आतंकी संगठन से जोड़ने का काम करते रहे हैं।
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