Gyanvapi Masjid Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर 6 जुलाई तक स्थगित की सुनवाई
Gyanvapi Masjid Case ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख टाल दी गई है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट को यह फैसला लेना है कि 31 साल पहले दाखिल मामले की सुनवाई अब हो सकती है या नहीं।
लखनऊ, एएनआइ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई 6 जुलाई तक स्थगित कर दी है। ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच ने सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि हाईकोर्ट को यह फैसला लेना है कि 31 साल पहले दाखिल मामले की सुनवाई अब हो सकती है या नहीं।
बता दें कि इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई होने वाली है। कल हुई सुनवाई को कोर्ट ने इसलिए टाल दिया था। आज 3 बजे शीर्ष न्यायालय में सुनवाई होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वाराणसी की ट्रायल कोर्ट से भी कोई आदेश न देने को कहा था।
एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वाराणसी की ट्रायल कोर्ट को नंदी के सामने बनी दीवार को न गिराने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि मामले में फिलहाल कोई भी आदेश ना दिया जाए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई आज के लिए टालने को कहा था। दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष ने सुनवाई टालने का विरोध किया था। उनका कहना था कि अगर सुनवाई टाली जाती है तो देश में कई और ऐसे मामले डाले जा सकते हैं।
हिंदू पक्ष ने दाखिल किया अपना जवाब
बता दें कि कोर्ट में याचिका मुस्लिम पक्ष की ओर से डाली गई है। उनका कहना है कि मस्जिद में सर्वे कराने का कोई औचित्य नहीं है। वहीं हिंदू पक्ष ने भी आज इसपर अपना जवाब दाखिल कर दिया है। हिंदू पक्ष की ओर से वकील विष्णु जैन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद एक मस्जिद नहीं है, क्योंकि मुगल सम्राट औरंगजेब ने इस भूमि पर किसी मुस्लिम या मुसलमानों के निकाय को जमीन सौंपने के लिए वक्फ बनाने का कोई आदेश पारित नहीं किया था। जवाब में कहा गया है कि इतिहासकारों ने पुष्टि की है कि इस्लामिक शासक औरंगजेब ने 9 अप्रैल 1669 को एक आदेश जारी किया था जिसमें उनके प्रशासन को वाराणसी में भगवान आदि विशेश्वर के मंदिर को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था।
वाराणसी कोर्ट की तरफ से नियुक्त स्पेशल असिस्टेंट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह ने सर्वे रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट में पेश कर दी है। सर्वे रिपोर्ट 10-15 पेज की है। रिपोर्ट पेश करने से पहले कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने बताया कि रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में दिया गया है जिसमें वीडियो चिप भी दाखिल की है।