Move to Jagran APP

पॉड टैक्सी की दौड़ में अब वाराणसी का भी नाम

दो विदेशी कंपनियों से एक किमी ट्रैक बिछा तकनीक सिद्ध करने को कहा गया...

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Fri, 15 Sep 2017 09:56 PM (IST)Updated: Fri, 15 Sep 2017 09:56 PM (IST)
पॉड टैक्सी की दौड़ में अब वाराणसी का भी नाम
पॉड टैक्सी की दौड़ में अब वाराणसी का भी नाम

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बुलेट ट्रेन पर काम शुरू करने के बाद अब सरकार देश में पॉड टैक्सी लाने के मूड में है। इसकी शुरुआत वाराणसी गुरुग्राम और नागपुर से हो सकती है। इसके लिए अमेरिका और ब्रिटेन की दो कंपनियां को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अपनी प्रौद्योगिकी साबित करने को कहा गया है।

loksabha election banner

पॉड टैक्सी ऐसी परिवहन सेवा है जिसमें एलीवेटेड ट्रैक पर छोटी कारों के आकार के पॉड चलाए जाते हैं। छोटे आकार के होने के कारण इनमें यात्रियों की आवक के अनुसार पॉड चलाए जाते हैं और उन्हें यात्रियों की जरूरत के अनुसार मनचाहे स्टेशनों पर रोका जा सकता है। इससे यह प्रणाली लोगों के लिए ज्यादा सुविधाजनक साबित होने के साथ-साथ ऊर्जा खपत के लिहाज से किफायती बैठती है।

भारत में पॉड टैक्सी चलाने का विचार सबसे पहले हरियाणा सरकार ने पेश किया था। लेकिन इसे अमली जामा पहनाने की मंशा मोदी सरकार में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दिखाई। उन्होंने 2015 में ही दिल्ली के धौलाकुआं से हरियाणा के गुरुग्राम के बीच यातायात जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए मेट्रिनो प्रणाली लाने की बात की थी। बाद में एनएचएआइ को इसके कार्यान्वयन का जिम्मा सौंपा गया। एनएचएआइ ने इसके लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर मांगे। जवाब में चार कंपनियां पात्र पाई गई। इनमें से दो ने बाद में अपने प्रस्ताव वापस ले लिए। जबकि दो कंपनियों-अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा से जुड़ी कंपनी स्काईट्रान तथा ब्रिटिश कंपनी अल्ट्रा ग्लोबल पीआरटी को प्रजेंटेशन के लिए बुलाया गया। प्रजेंटेशन से पता चला कि पॉड तकनीक को अभी वैश्रि्वक स्तर पर ज्यादा मान्यता नहीं मिली है। साथ ही इसमें सुरक्षा के कुछ मसले भी हैं। दोनों कंपनियों के पास विदेशों में केवल एक-एक परियोजना का अनुभव है जिनकी लंबाई भी ज्यादा नहीं है। इसीलिए इन दोनों कंपनियों को पायलट प्रोजेक्ट के जरिए अपनी तकनालॉजी साबित करने को कहा है। इसके लिए तीन नगरों में से चुनाव करने को कहा गया है।

सूत्रों के मुताबिक पॉड परियोजना में विलंब दो अन्य कारणों से भी विलंब हो रहा हैं। जिनमें एक कारण पॉड परिवहन प्रणाली के बारे में सरकार का यह तय न पाना है कि इसे रेल प्रणाली माना जाए या सड़क प्रणाली। इसके अलावा रेलवे ने हाइपर लूप ट्रेन लाने पर ज्यादा जोर दे दिया। यह अलग बात है कि हाईपर लूप प्रणाली अभी संकल्पना के स्तर पर है और इसे व्यावहारिक धरातल पर उतारने में समय लगेगा।

यह भी पढ़ेंः एमपी में कार्यालय के लिए नीतीश-शरद गुट आमने-सामने

यह भी पढ़ेंः रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर 18 को हलफनामा दाखिल करेगी सरकार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.