Guru Nanak Jayanti 2019: जानें गुरु नानक के ये 10 मशहूर दोहे जो बदल देंगे आपकी जिंदगी
Guru Nanak Jayanti 2019 हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक देव जी की जयंती पूरे देश में मनाई जाती है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा 12 नवंबर को पड़ रही है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Guru Nanak Jayanti 2019: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस को पूरे देश में बुहत उल्लास के साथ मनाया जाता है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक देव जी की जयंती पूरे देश में मनाई जाती है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा 12 नवंबर को पड़ रही है जिसे पूरे देश में गुरु पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। पूरा सिख समाज इकट्ठा होकर गुरु पर्व मनाता है। प्रभात फेरी निकाली जाती हैं और जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कई दिनों पहले से ही जश्न शुरू हो जाता है जगह-जगह कीर्तन होते हैं और लंगर बांटे जाते हैं।
गुरु नानक का जन्म 1469 में श्री ननकाना साहिब में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में हैं। गुरु नानक जी के पिता का नाम मेहता कालू था और माता का नाम तृप्ता देवी था। उनकी एक बहन भी थी जिनका नाम नानकी था। इसके अलावा गुरु नानक जी के दो बेटे थे एक का नाम श्रीचंद और दूसरे बेटे का नाम लख्मीदास था। वहीं उनकी पत्नी बटाला की रहने वाली थीं जिनका नाम सुल्लखणी था। गुरु नानक जी बचपन से ही गंभीर स्वभाव के थे और रुढिवाजी विचारधारा का विरोध करते थे। उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की थी।
गुरु नानक जी ने अपनी पूरी जिंदगी मानवता की सेवा में लगा दी। उन्होंने भारत के अलावा दूसरे देशों जैसे ईरान, अफगानिस्तान और अरब देशों में भी जाकर लोगों को पाखंडवाद से दूर रहने की शिक्षा दी। गुरु पर्व को गुरमति समागत आयोजित किया जाता है इसमें नानक जी की बाणी और उनकी शिक्षाओं से संगत को निहाल किया जाता है। गुरु नानक जी के जन्म दिन पर पढ़ें उनके 10 मशहूर दोहे, जो आपकी जिंदगी बदल देंगे...
एक ओंकार सतिनाम, करता पुरखु निरभऊ।
निरबैर, अकाल मूरति, अजूनी, सैभं गुर प्रसादि।।
सालाही सालाही एती सुरति न पाइया।
नदिआ अते वाह पवही समुंदि न जाणी अहि।।
जगत में झूठी देखी प्रीत।
अपने ही सुखसों सब लागे, क्या दारा क्या मीत।।
मन मूरख अजहूं नहिं समुझत, सिख दै हारयो नीत।
नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत।।
धनु धरनी अरु संपति जो मानिओ अपनाई।
तन छूटै कुछ संग न चाले, कहा ताहि लपटाई।।
पवणु गुरु पानी पिता माता धरति महतु।
दिवस रात दुई दाई दाइआ खेले सगलु जगतु।।
दीन दयाल सदा दु:ख-भंजन, ता सिउ रुचि ने बढाई।
नानक कहत जगत सभ मिथिआ, ज्यों सुपना रैनाई।।
हुकमी उत्तम नीचु हुकमि लिखिच दुखसुख पाई अहि।
इकना हुकमी बक्शीस इकि हुकमी सदा भवाई अहि।।
हरि बुनि तेरो को न सहाई।
काकी मात-पिता सुत बनिता, को काहू को भाई।।
मेरो मेरो सभी कहत हैं, हित सों बाध्यौ चीत।
अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत।।