सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश, पिता के सिख मित्र को 'अमजद' ने दी मुखाग्नि
मध्य प्रदेश के गुना में मुस्लिम परिवार ने अपने पिता के सिख मित्र को मुखाग्नि देकर सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश की।
गुना (नईदुनिया)। यूं तो मुस्लिम समाज में दाह संस्कार की परंपरा नहीं है, लेकिन सोमवार को गुना में एक मुस्लिम परिवार ने अपने पिता के सिख मित्र को मुखाग्नि देकर सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश की। इतना ही नहीं, गुरुद्वारा में अरदास के बाद मुक्तिधाम तक अंतिम यात्रा निकाली गई और सिख धर्म के रीति-रिवाजों का निर्वहन किया गया।
एेसे हुई दोस्ती
वार्ड के पार्षद रविंद्रसिंह रघुवंशी टिल्लू ने बताया पंजाब के गुरमीत सिख रेलवे में ड्राइवर की नौकरी करते थे। उनकी पोस्टिंग पहले बीना में हुई, जहां से 1988 में उनका तबादला गुना हो गया। बीना में रेलवे ड्राइवर वहीद खान से उनकी दोस्ती हुई। उनका स्थानांतरण भी गुना होने से दोनों मित्र रेलवे क्वार्टरों में रहने लगे। इसी दौरान वहीद खान ने वार्ड-26 स्थित भोगीराम कॉलोनी में मकान बना लिया और दोनों दोस्त एक साथ रहने लगे।
10-12 साल पहले वहीद खान का हार्टअटैक से निधन हो गया। इधर, गुरमीत भी सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन वहीद खान के बेटे व परिजन ने उन्हें परिवार के सदस्य के रूप में अपने साथ रखा। गुरमीत के परिवार में कोई नहीं था। सोमवार अलसुबह लगभग साढ़े तीन बजे गुरमीत का निधन हो गया। वे एक-डेढ़ महीने से बीमार चल रहे थे।
अरदास के बाद निकली अंतिम यात्रा
गुरमीत के निधन की सूचना मिलते ही सिख समाज के लोग स्व. वहीद खान के घर पहुंचे। गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा के सचिव हरवीर सिंह मिंटू ने बताया पहले घर में ही अरदास पढ़ी गई, जिसके बाद गुरुद्वारा आए। जहां से अरदास के बाद बूढ़े बालाजी मुक्तिधाम के लिए अंतिम यात्रा शुरू हुई। यहां सिख समाज के लोगों के साथ स्व. वहीद खान के पुत्र अमजद खान ने सिख धर्म के रीति-रिवाजों के साथ मुखाग्नि देकर उन्हें अंतिम विदाई दी।