Gulbarg Society Massacre: जकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई दो हफ्ते को टली
शीर्ष अदालत ने पिछले साल फरवरी में सुनवाई के लिए 14 अप्रैल 2020 की तारीख तय करते हुए कहा था कि इस मामले को कई बार स्थगित किया गया है और इस पर किसी न किसी दिन सुनवाई करनी होगी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। गुजरात के 2002 के दंगों के मामले में एसआइटी द्वारा राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दो सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि मामले को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया जाएगा क्योंकि याचिकाकर्ता ने मामले में स्थगन की मांग करते हुए पत्र जारी किया है।
शीर्ष अदालत ने 16 मार्च को मामले को सुनवाई के लिए मंगलवार 13 अप्रैल का दिन नियत किया था और कहा था कि स्थगन के लिए अब वह किसी के भी अधिक अनुरोध पर विचार नहीं करेगी।
पीठ ने पिछले महीने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के अनुरोध पर सुनवाई अप्रैल में रखी क्योंकि तब कई अधिवक्ता मराठा आरक्षण मामले में व्यस्त थे। मराठा आरक्षण पर तब पांच जजों वाली संविधान पीठ सुनवाई कर रही थी। गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तब स्थगन की याचिका का विरोध किया था।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल फरवरी में सुनवाई के लिए 14 अप्रैल, 2020 की तारीख तय करते हुए कहा था कि इस मामले को कई बार स्थगित किया गया है और इस पर किसी न किसी दिन सुनवाई करनी होगी।
इससे पहले, जाफरी के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि याचिका में एक नोटिस जारी करने की जरूरत है क्योंकि यह 27 फरवरी 2002 से मई 2002 तक एक 'बड़ी साजिश' से संबंधित है।
उल्लेखनीय है जकिया के पति सांसद एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में हुई हिंसा में मारे गए थे। इस घटना में कुल 68 लोगों की जान गई थी। यह हिंसा गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आगजनी के बाद भड़की थी। उस घटना में 59 लोगों के मारे जाने के बाद राज्य भर में दंगे भड़क उठे थे। एसआइटी ने इस मामले में 8 फरवरी, 2012 को, क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर मोदी (मौजूदा पीएम) और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित 63 अन्य लोगों को क्लीन चिट दे दी थी।