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गुर्जर आंदोलन: बीएसएफ की आठ कंपनियाें को दौसा भेजा गया

राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर पिछले सात दिनों से आंदोलन कर रहे गुर्जरों पर सख्त रुख दिखाया है। अदालत ने राज्‍य के मुख्‍य सचिव और डीजीपी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अभी तक ट्रैक क्‍यों नहीं खाली कराया गया। कोर्ट ने

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Thu, 28 May 2015 09:01 AM (IST)Updated: Thu, 28 May 2015 10:56 AM (IST)
गुर्जर आंदोलन: बीएसएफ की आठ कंपनियाें को दौसा भेजा गया

जयपुर। राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर पिछले सात दिनों से आंदोलन कर रहे गुर्जरों पर सख्त रुख दिखाया है। अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अभी तक ट्रैक क्यों नहीं खाली कराया गया। कोर्ट ने कहा कि गुर्जर नेताओं के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दायर होने के बावजूद उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया।

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कोर्ट ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक और जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग से हटाकर यातायात बहाल करने का निर्देश देते हुए कल सुबह आठ बजे तक कार्रवाई रिपोर्ट के साथ हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

इस बीच, प्रदर्शनकारी गुर्जरों पर सख्ती के संकेत मिल रहे हैं। ट्रैक को खाली कराने के लिए बीएसएफ की आठ कंपनियों को दौसा भेजा गया है। गुर्जर आंदोलन की वजह से अब तक 326 ट्रेनें रद हो चुकी हैं। इसकी के कारण रेलवे को अब तक 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है। उधर, गुर्जर नेता बैंसला एक बार फिर सरकार से बातचीत के लिए जयपुर पहुंच रहे हैं। बातचीत 11 बजे होगी।

इससे पहले बुधवार को हाई कोर्ट ने राजस्थान सरकार से पूछा कि आंदोलनकारियों को इतनी छूट क्यों दी जा रही है। रेलवे डीआरएम, कोटा को कहा कि वे भी अदालत में आकर बताएं कि आंदोलन के दौरान कितनी ट्रेनें रद की, कितनों का रूट बदला और इससे रेलवे को कितनी हानि हुई। न्यायाधीश आरएस राठौड़ ने ये अंतरिम आदेश गुर्जर नेताओं के खिलाफ अवमानना मामले में राय सरकार की याचिका पर दिया। सरकार ने अवमानना याचिका में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला सहित 12 गुर्जर नेताओं को पक्षकार बनाया है।

सरकार-गुर्जर वार्ता विफल : इस बीच, आंदोलन कर रहे गुर्जर नेताओं और राजस्थान सरकार के बीच दो दौर की वार्ता बुधवार शाम विफल हो गई। मंगलवार रात से शुरू हुई बातचीत के बाद यह लगने लगा था कि गुर्जर नेता सरकार के प्रस्ताव पर कुछ हद तक सहमत हैं और गुरुवार को आंदोलन समाप्त हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वार्ता टूटने के बाद गुर्जर नेता वापस रेल पटरी पर पहुंच गए।

सरकार ने असमर्थता जताई : मंत्रियों की कमेटी एवं अधिकारियों के साथ हुई बातचीत में गुर्जर नेताओं ने मौजूदा 50 फीसद आरक्षण व्यवस्था के तहत ही आरक्षण की मांग की। सरकारी प्रतिनिधियों ने असमर्थता जताते हुए कहा कि मौजूदा आरक्षण में कटौती पर सामाजिक समरसता समाप्त हो सकती है, अन्य समाज आंदोलन करेंगे। सरकार की ओर गुर्जर नेताओं को समझौते का एक प्रस्ताव भी दिया गया।

हमें जनता से क्या : हिम्मत सिंह

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह ने कहा, पटरी खाली कराने के आदेश के बारे में हाई कोर्ट और सरकार जाने। हमें इससे कोई लेना-देना नहीं। हमें आम जनता से क्या मतलब। हम कोई पिकनिक मनाने तो पटरी पर बैठे नहीं हैं।

सरकार ने तय की रणनीति : हाई कोर्ट के आदेश के बाद वसुंधरा राजे सरकार ने दिनभर गुर्जर नेताओं के साथ वार्ता तो जारी रखी लेकिन इन्हें रेल पटरी और राजमार्ग से हटाने की रणनीति भी तय की। केंद्र से आई पैरामिलिट्री फोर्स की 20 कंपनियों को गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में तैनात करने के साथ ही हेलीकॉप्टर भी तैनात किया गया है।

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