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जल प्रबंधन में गुजरात पहले नंबर पर, फिसड्डी झारखंड, यूपी, बिहार व हरियाणा

नीति आयोग की कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स पर गुजरात रैंकिंग में पहले नंबर पर है। जल संकट गहराने से खाद्य सुरक्षा पर भी खतरा होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 14 Jun 2018 09:49 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jun 2018 09:49 PM (IST)
जल प्रबंधन में गुजरात पहले नंबर पर, फिसड्डी झारखंड, यूपी, बिहार व हरियाणा
जल प्रबंधन में गुजरात पहले नंबर पर, फिसड्डी झारखंड, यूपी, बिहार व हरियाणा

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। प्रकृति ने भले ही उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड को गंगा-यमुना जैसी सदावाहिनी नदियों की सौगात दी हो, लेकिन जल संसाधन प्रबंधन में इन राज्यों का प्रदर्शन बहुत खराब है। नीति आयोग ने बुधवार को 'कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स' जारी की जिस पर ये राज्य सबसे निचले पायदान पर हैं। आयोग की इस इंडेक्स पर सत्र गैर-हिमालयी राज्यों में गुजरात पहले नंबर पर है जबकि बिहार, यूपी, हरियाणा और झारखंड सबसे निचले पायदान पर हैं। वहीं हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों की सूची में सबसे अच्छा प्रदर्शन त्रिपुरा का है।

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-नीति आयोग की 'कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स' पर फिसड्डी उत्तर के राज्य

-गुजरात पहले, मध्य प्रदेश दूसरे और आंध्र प्रदेश तीसरे नंबर पर

नीति आयोग ने वर्ष 2016-17 के लिए इन राज्यों की रैंकिंग की है। आयोग की वाटर इंडेक्स पर सबसे ज्यादा स्कोर 76 गुजरात का है और रैंकिंग में यह पहले नंबर पर है जबकि झारखंड का स्कोर मात्र 35 और उत्तर प्रदेश, बिहार व झारखंड का स्कोर सिर्फ 38 है। इन राज्यों में झारखंड की रैंक 17वीं, हरियाणा की 16वीं, उत्तर प्रदेश की 15वीं और बिहार की 14वीं है। 2015-16 में उत्तर प्रदेश की 14वीं रैंक थी। मध्य प्रदेश 69 स्कोर के साथ इस इंडेक्स पर दूसरे नंबर पर है।

आयोग का कहना है कि जिन राज्यों में जल का अभाव है, जल संसाधनों के प्रबंधन के मामले में उनका प्रदर्शन बेहतर है। मसलन, गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र का इस इंडेक्स पर उच्च स्थान है। आयोग ने उन राज्यों का भी उल्लेख किया है जिन्होंने जल प्रबंधन बेहतर करने की कोशिश भी की है। राजस्थान ने इस मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। जहां तक हिमालयी और पूवोत्तर के राज्यों का सवाल है तो त्रिपुरा पहले नंबर पर जबकि हिमाचल प्रदेश दूसरे और उत्तराखंड छठे नंबर पर है।

आयोग का कहना है कि कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स पर जिन राज्यों का प्रदर्शन खराब है वहां देश की 50 प्रतिशत आबादी रहती है और खेती का केंद्र भी यही राज्य हैं। ऐसे में इन प्रदेशों में जल प्रबंधन की खराब स्थिति आने वाले दिनों में संकट की ओर इशारा कर रही है। देश का 20 से 30 प्रतिशत कृषि उत्पादन इन्हीं राज्यों से होता है। ऐसे में जल संकट गहराने से खाद्य सुरक्षा पर भी खतरा होगा।

देश पर मंडराते जल संकट की ओर इशारा करते हुए आयोग की इस रिपोर्ट में कहा है कि भारत इस समय इतिहास के अब तक के सबसे खराब जल संकट का सामना कर रहा है और इसके चलते आजीविका पर भी खतरा मंडरा रहा है। लगभग 60 करोड़ भारतीयों को जल की कमी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दो लाख लोगों की हर साल सेफ पेयजल के अभाव में जान जा रही है।

2030 तक देश में पेयजल की मांग दोगुनी हो जाएगी जिससे देश के जीडीपी की छह प्रतिशत तक हानि हो सकती है। यही वजह है कि जल के बेहतर प्रबंधन के इरादे से आयोग ने 'कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स' विकसित की है।

कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स पर राज्यों की रैंक

रैंक गैर-हिमालयी राज्य

1 गुजरात

2 मध्य प्रदेश

3 आंध्र प्रदेश

4 कर्नाटक

5 महाराष्ट्र

6 पंजाब

7 तमिलनाडु

8 तेलंगाना

9 छत्तीसगढ़

10 राजस्थान

11 गोवा

12 केरल

13 उड़ीसा

14 बिहार

15 उत्तर प्रदेश

16 हरियाणा

17 झारखंड

रैंक हिमालयी व पूर्वोत्तर के राज्य

1 त्रिपुरा

2 हिमाचल प्रदेश

3 सिक्किम

4 असम

5 नागालैंड

6 उत्तराखंड

7 मेघालय।


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