Godhra Train Burning: ट्रेन जलाने के मामले में कुछ दोषियों ने लगाई जमानत याचिका, गुजरात सरकार ने किया विरोध
गुजरात सरकार ने 2002 के गोधरा ट्रेन आगजनी मामले के कुछ दोषियों की जमानत याचिकाओं का उच्चतम न्यायालय में विरोध किया। सरकार ने कहा कि वे केवल पथराव करने वाले नहीं थे और उनकी हरकतों ने लोगों को जलती हुई बोगी से बचने से रोक दिया।
नई दिल्ली। गुजरात सरकार ने 2002 के गोधरा ट्रेन आगजनी मामले के कुछ दोषियों की जमानत याचिकाओं का उच्चतम न्यायालय में विरोध किया। सरकार ने कहा कि वे केवल पथराव करने वाले नहीं थे और उनकी हरकतों ने लोगों को जलती हुई बोगी से बचने से रोक दिया। 27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके कारण राज्य में दंगे भड़क गए थे।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष शुक्रवार को यह मामला सुनवाई के लिए आया।
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शीर्ष अदालत ने राज्य से दोषियों की व्यक्तिगत भूमिकाओं का उल्लेश करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि पथराव के आरोपी लोगों की जमानत याचिका पर विचार किया जा सकता है क्योंकि वे पहले ही 17-18 साल जेल में बिता चुके हैं।
गुजरात राज्य की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन दोषियों ने ट्रेन पर पत्थर फेंके जिससे लोग जलते डिब्बे से बच नहीं पाए। उन्होंने पीठ से कहा, यह केवल पथराव का मामला नहीं है।
मेहता ने पीठ को बताया कि गुजरात उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2017 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में दोषियों द्वारा दायर अपील, जिसने मामले में उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था, को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है।
उन्होंने पीठ से कहा कि वह इन दोषियों की व्यक्तिगत भूमिका की जांच करेंगे और पीठ को इससे अवगत कराएंगे। बता दें कि पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 15 दिसंबर की तारीख तय की है।
अक्टूबर 2017 के अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में 11 दोषियों को दी गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था। इसने मामले में 20 अन्य दोषियों को दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था। शीर्ष अदालत ने 11 नवंबर को एक दोषी को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दी थी।
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यह नोट किया गया था कि 13 मई को शीर्ष अदालत ने उन्हें इस आधार पर छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दी थी क्योंकि उनकी पत्नी टर्मिनल स्टेज कैंसर से पीड़ित थीं और उनकी बेटियां दिव्यांग थीं।
अपने 11 नवंबर के आदेश में पीठ ने कहा था कि मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए हम उन्हीं नियमों और शर्तों पर अंतरिम जमानत की अवधि 31 मार्च, 2023 तक बढ़ाते हैं।